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INTERIM RAILWAY BUDGET
DEMANDS FOR SUPPLEMENTARY GRANTS - RAILWAYS
DEMANDS FOR EXCESS GRANTS - RAILWAYS
1704 hours
MR. CHAIRMAN (DR. LAXMINARAYAN PANDEYA): The House will now take up General Discussion on Interim Railway Budget for the year 2009-2010, discussion and voting on Demands for Grants on Account (Railways) for the year 2009-2010, discussion and voting on Supplementary Demands for Grants (Railways) for the year 2008-2009 and discussion and voting on Demands for Excess Grants (Railways) for the year 2006-2007.
Hon. Members present in the House whose cut motions have been circulated may, if they desire to move their cut motions, send slips to the Table within 15 minutes indicating the serial numbers of the cut motions they would like to move. Only those cut motions will be treated as moved.
A list showing the serial numbers of cut motions treated as moved will be put up on the Notice Board shortly thereafter. In case any Member finds any discrepancy in the list, he may kindly bring it to the notice of the Officer at the Table immediately.[R79]
Motions moved:
"That the respective sums not exceeding the amounts shown in the third column of the Order Paper be granted to the President of India out of the Consolidated Fund of India, on account, for or towards defraying the charges during the year ending the 31st day of March, 2010 in respect of the heads of Demands entered in the second column thereof against Demand Nos. 1 to 16."
"That the respective supplementary sums not exceeding the amounts shown in the third column of the Order Paper be granted to the President of India out of the Consolidated Fund of India to defray the charges that will come in course of payment during the year ending the 31st day of March, 2009, in respect of the heads of Demands entered in the second column thereof against Demand Nos. 1, 3 to 13, 15 and 16."
"That the respective excess sums not exceeding the amounts shown in the third column of the Order Paper be granted to the President of India, out of the Consolidated Fund of India, to make good the excess on the respective grants during the year ended on the 31st day of March, 2007, in respect of the heads of Demands entered in the second column thereof against Demand Nos. 1, 10, 15 and 16."
(h3/1705./snb-mm)[R80]
Those who want to lay their written speeches, they can do so. Those will be treated as part of the proceedings.
… (Interruptions)
SHRI E. PONNUSWAMY (CHIDAMBARAM): Sir, yesterday also there was no `Zero Hour' and I did not get any chance. Today also I gave notice on an important issue… (Interruptions) Only leaders of parties are getting an opportunity to speak during the `Zero Hour'… (Interruptions)
MR. CHAIRMAN (DR. LAXMI NARAYAN PANDEY): Nothing is going on record.
(Interruptions) … (Not recorded)
MR. CHAIRMAN: It was fixed by the hon. Speaker that the discussion on the Railway Budget would be taken up at 5 p.m.
… (Interruptions)
SHRI K. FRANCIS GEORGE (IDUKKI): Sir, what is the harm in extending the time by another five minutes… (Interruptions)
SHRI E. PONNUSWAMY (CHIDAMBARAM): Sir, what is the solution?… (Interruptions)
SHRI K. FRANCIS GEORGE (IDUKKI): This is very unfortunate.
MR. CHAIRMAN: Nothing is going on record.
(Interruptions) … (Not recorded)
SHRI E. PONNUSWAMY (CHIDAMBARAM): Only the leaders are getting a chance to speak. You are being partial on giving chance to speak… (Interruptions)
SHRI K. FRANCIS GEORGE (IDUKKI): We also are Members of the House. … (Interruptions)
MR. CHAIRMAN: We have taken up the next item on the agenda. Now, your issue cannot be taken up. It is against the rules.
… (Interruptions)
SHRI K. FRANCIS GEORGE (IDUKKI): What do you mean by rules?… (Interruptions)
MR. CHAIRMAN: We have already started the discussion on Railway Budget.
… (Interruptions)
SHRI E. PONNUSWAMY (CHIDAMBARAM): Sir, this is the right of the Members… (Interruptions)
1708 बजे
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): सभापति महोदय, मैं रेल मंत्री जी को बधाई देना चाहता हूं क्योंकि वे देश के इतिहास के पहले ऐसे रेल मंत्री हैं, जिन्होंने छः बार रेल बजट पेश किया है। जिस समय बजट पेश किया गया था तो वह अनुपूरक मांगों का था। लेकिन जब उन्होंने बजट पेश किया तो ऐसा कहीं नहीं लगा कि वह चार महीने के लिए है, ऐसा लगा कि उन्होंने पूरे साल का बजट पेश किया है। उनकी घोषणाओं से लोगों को उम्मीद जगी थी कि प्रणब दा जब बजट पेश करेंगे तो लालू जी की ही तरह कोई अच्छी घोषणा करेंगे। लेकिन दोनों बजट को देखकर ऐसा कहीं नहीं लगा।
सभापति महोदय (डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय): मैं बताना चाहता हूं हम आइटम नंबर 33 से लेकर 36 तक को शामिल कर रहे हैं।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): ठीक है, सर। लेकिन मुझे इस बात का दुख है कि जिस दिन उन्होंने बजट पेश किया दुर्भाग्य से उसी दिन दो रेल दुर्घटनाएं हुईं। सुबह जहां बजट पेश करने की खुशी थी, शाम को वही तनाव में थे। जब रेल दुर्घटना होती है तो सबसे ज्यादा तनाव रेल मंत्री जी को ही होता है। मैं अपनी चर्चा की शुरूआत इसी बात से करना चाहता हूं। मैं भागलपुर से सांसद चुनकर आया हूं।[r81]
(j3/1710/sb-ru)[S82]
लालू जी ने मेरे लिए बहुत किया है, लेकिन वह चुनावी वर्ष में मेरा नाम लेकर मुझे क्रेडिट नहीं देंगे। हमारे संबंध इतने खराब भी नहीं हैं, लेकिन अगर चुनावी वर्ष न होता तो वे मेरी तरफ देखते और कहते कि शाहनवाज़ तुमने जो चिट्ठी लिखी थी, मुझे मिल कर कहा था, वह काम हमने कर दिया है। मैंने जो 26 दिसम्बर को चिट्ठी लिखी थी, उसे भी साथ में लाया हूं। मैं उम्र में कम हूं, लेकिन मेरा अनुभव ज्यादा है। मैं देश का सिविल एविएशन और नागरिक उड्डयन मिनिस्टर रहा हूं।...(व्यवधान)
रेल मंत्री (श्री लालू प्रसाद) : आपका सब कुछ ठीक है, लेकिन संगत ठीक नहीं है।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): उस नाते मैंने इसलिए बताया, मैं अपनी कोई बढ़ाई करने के लिए नहीं खड़ा हुआ हूं। रेल मंत्री जी को मालूम होगा कि कमिश्नर रेलवे सेफ्टी सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के अंडर काम करती है। मैं जब सिविल एविएशन मिनिस्टर था तो रेलवे की सुरक्षा का जवाब पार्लियामेंट के फ्लोर पर मुझे देना पड़ता था, इसलिए मुझे कुछ जानकारी है। वैसे पूरे कार्यकाल का यह आखिरी सत्र है। चंद दिन बीते हैं, कल भी मैंने देखा कि विपक्ष के नेता और सत्ता पक्ष के नेता की बातचीत में कड़वाहट नहीं थी। मैं भी अपने स्वभाव के अनुसार कभी अपनी बातचीत में कड़वाहट नहीं डालता हूं, लेकिन लोकतंत्र में, पार्लियामेंट में अपनी बात रखने का एक अधिकार है, जिस अधिकार का मैं सदुपयोग जरूर करूंगा।
सभापति महोदय, बिहार में उर्दू सैकिंड लैंग्वेज़ है। जब लालू जी का भाषण हो रहा था, पिछली बार शेयरो-शायरी उर्दू में थी, लेकिन इस बार उन्होंने अच्छी कविताएं पढ़ीं। मैं भी अपनी शुरुआत एक इशारे के साथ करना चाहता हूं कि लालू जी ने जो बातें कहीं, उसमें मुनाफे की बात कही। उन्होंने कहा कि बहुत प्रोफिट कमाया, लेकिन जम्हूरियत में मुनाफे के लिए ये यहां नहीं आए। जब कोई सरकार बनती है तो वह कार्पोरेट सैक्टर की सरकार नहीं है, कार्पोरेट का सीएमडी कहे कि बैलेंसशीट इतना बढ़ गया, लेकिन जो मंत्री होते हैं, उन्हें यह कहना होता है कि हमने सुविधाएं इतनी बढ़ा दीं। इसलिए एक शायर ने कहा कि - "जम्हूरियत एक तर्जे हुकूमत है, कि जिसमें बंदों को गिना करते हैं, तोला नहीं करते।" जो बंदें हैं, उन्हें हमने क्या फेसिलिटी दी। जब लालू जी रेल मंत्री के तौर पर यहां पहला भाषण कर रहे थे, तब मैं इस सदन का सदस्य नहीं था। सभापति जी, आपके आशीर्वाद से मैं इलैक्शन में भागलपुर से चुन कर आया और मैंने रेल मंत्री जी का जो पहला बजट था, इनकी पुरानी जो स्पीच थी, उसे हमने टीवी पर सुना था। वैसे भी हमारी पार्टी के लोगों ने उस वक्त रेल मंत्री जी का भाषण नहीं सुना था, लेकिन हमने इनका भाषण टीवी पर सुना था। दल की राजनीति अलग भी हो, लेकिन जब कोई राज्य का व्यक्ति किसी सरकार में होता है, वे कुछ बोलते हैं, वे महत्वपूर्ण पद पर हैं तो राजनीति के कार्यकर्ता के नाते हम लोग उनकी बात को ध्यान से सुनते हैं।
सभापति महोदय, रेल मंत्री जी ने जब पहला भाषण किया था, आज आखिरी बार इस पर चर्चा हो रही है। मैं मानता हूं कि राजनीति में जीवन में कौन कहां क्या करेगा, यह जनता तय करती है। लेकिन हमें याद है कि रेल मंत्री जी के भाषण में कुल्हड़ की बड़ी चर्चा हुई थी और अब कुल्हड़ से हम लोग आखिरी भाषण में बुलेट ट्रेन पर पहुंच गए। सन् 2004-05 में रेल बजट में कुल्हड़ की, छाछ की, खादी और शायद रेल मंत्री जी को याद आ जाए कि यह भी चर्चा हुई थी कि बिहार से सब्जी चलेगी और सीधे दिल्ली उतरेगी। हमारे यहां छपरा में भी अच्छी सब्जी होती है और भागलपुर की जमीन ज्यादा फर्टाइल है।[S83]
(k3/1715/rpm/rbn)
वहां पर सब्जी बहुत अच्छी होती है, तो हम लोगों ने उम्मीद की थी और वहां के लोगों भी लगा था कि शायद हमें ताजी सब्जी मिलेगी और किसानों को भी लगा कि हमारी सब्जी के जो रेट हमें नहीं मिलते थे, अब मिलेंगे, लेकिन पांच साल हो गए, अभी तक इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है। हमें लगता है कि जब हमारी सरकार आएगी, तो लालू प्रसाद जी की घोषणा को हमारी सरकार को पूरा करना पड़ेगा।
महोदय, जब इन्होंने तीसरा बजट दिया, तो गुजरात और राजस्थान के बीच में एक रूट को आगे बढ़ाने की बात कही थी। चौथे बजट में डीजल रूट पर तिमंजिला और विद्युत मार्ग पर दो मंजिला कंटेनर चलाने की योजना बनाई गई थी। वह योजना परवान चढ़ना अभी बाकी है। शहरों में रहने वाले लोगों को जो सब्जियां रेलवे उपलब्ध कराने वाली थी, वह वायदा भी अभी बाकी है।
महोदय, हाल ही में 36 हजार कोचों में डिस्चार्ज फ्री ग्रीन टॉयलेट उपलब्ध कराने की घोषणा भी की गई है। यह घोषणा भी पिछले साल के बजट में की गई थी। जाते-जाते अब रेल मंत्री जी, हमें बुलेट ट्रेन का ख्वाब दिखाकर जा रहे हैं। हम उम्मीद करते हैं कि ...(व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र प्रकाश गोयल (हापुड़): हम तो इन्हें प्रधान मंत्री बनाना चाहते हैं।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): क्या लालू प्रसाद जी को आप फिर रेल मंत्री बनाने वाले हैं? अच्छा गोयल साहब बोल रहे हैं। यदि आप श्री लालू प्रसाद को प्रधान मंत्री बनाना चाहते हैं, तो डॉ. मनमोहन सिंह जी का क्या होगा? आप जो बोल रहे हैं, आप पर कार्रवाई हो जाएगी।
सभापति महोदय (डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय): प्लीज आप चुप रहिए। बीच में मत टोकिए। उन्हें बोलने दीजिए।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): सभापति जी, रेल मंत्री जी का भाषण यहां हो रहा था, तो पूरा देश इसे बहुत ध्यान से सुन रहा था। रेल मंत्री जी ने इसमें बहुत सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात कही है। अब जब सुविधा की बात कही है, तो मैं इनका ध्यान आपके माध्यम से आकर्षित करना चाहता हूं कि इन्होंने कहा कि मालभाड़े में कमी की गई है। मैं बताना चाहता हूं कि मालभाड़े में कभी कमी नहीं की गई, बल्कि बजट से पहले ही, इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि क्लासीफिकेशन चेंज करते हुए, मालभाड़े में 1.3 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी कर दी गई। रेलवे फ्रेट कोरीडोर की योजना कई वर्षों से चल रही थी, लेकिन मात्र शिलान्यास के अलावा कुछ नहीं हुआ। मैं आज कह रहा हूं कि रेलवे के पास इतना पैसा है कि माननीय मंत्री जी उसका शिलान्यास से आगे का काम कर सकते थे। जहां तक फ्रेट का सवाल है, जिस पर बहुत चर्चा हो रही है कि फ्रेट यानी किराए वृद्धि नहीं की है, लेकिन सच्चाई यह है कि ढुलाई के रेट का जो क्लासीफिकेशन है, उसमें भी खासकर भोजन सामग्री पर दिनांक 01-04-2004 में 1000 किलोमीटर पर किराए का जो रेट था वह 100 था, जिसे लालू जी ने 1 अप्रेल, 2008 को क्लास को बढ़ाकर 120 कर दिया। इसकी वजह से दिनांक 1-4-2004 में एक बोरे पर, यानी 1000 किलोमीटर पर प्रति टन 578 रुपए प्रति बोरे था, वह बढ़कर दिनांक 1 अप्रेल, 2008 में 810 रुपए कर दिया गया।
महोदय, इस समय मेरे पास जो आंकड़े हैं, वे बहुत ऑथेंटिक हैं। चूंकि शब्दों में हेर-फेर न हो जाए, इसलिए मैं इसे बहुत ध्यान पूर्वक पढ़ रहा हूं। मालगाड़ियों की जो कैरिंग कैपेसिटी है, बिना ट्रैक की क्षमता बढ़ाए आमदनी बढ़ाई जा रही है। रेलवे में बिजी सीजन सरचार्ज अलग से 7 प्रतिशत लगा दिया गया है। डैवलपमेंट सरचार्ज के रूप में 2 प्रतिशत किराए में भी शामिल किए गए। कुल मिलाकर 9 प्रतिशत सरचार्ज के रूप में अतिरिक्त ढुलाई किराए में अप्रत्यक्ष रूप से वृद्धि की गई है। एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल हेतु जब सामान चढ़ाते हैं, तो उस पर टर्मिनल चार्ज, सरचार्ज के रूप में 10 रुपए दिए जाते थे। इसी राशि को बढ़ाकर 20 रुपए प्रति टन कर दिया गया और यही नहीं जिस टर्मिनल से माल चढ़ाया जाएगा, उससे भी यह धनराशि ली जाएगी और जहां उतारा जाएगा, वहां भी यह धनराशि ली जाएगी, यानी प्रत्येक टन पर 20-20 रुपए माल चढ़ाने और उतारने के लिए चुकाने पड़ेंगे। इस तरह अगर मान लें कि 25 हजार टन की एक मालगाड़ी है, तो उसमें 50 हजार रुपए अतिरिक्त चढ़ाने के और 50 हजार उतारने के, यानी 1 लाख रुपए प्रति गाड़ी मालभाड़ा बढ़ गया। [r84]
(l3/1720/mkg/tkd)[R85]
कहने का मतलब यह है कि आज जो महंगाई बढ़ रही है, इससे खान-पान की चीजों पर संसद चलते हुए आपने जो इस पर टैक्स लगाता, वैसे तो यहां पर कहा कि हमने कुछ नहीं बढ़ाना, लेकिन संसद चलने से पहले आपने इस टैक्स को बढ़ाने का काम किया है। मालगाड़ी की जो कैरिंग कैपेसिटी है, बिना ट्रैक क्षमता बढ़ाये हुए उसमें आमदनी हो रही है, लेकिन सुरक्षा पर कोई ध्यान नहीं दिया गया।
अध्यक्ष जी, आपको मालूम होगा कि इस देश में बहुत रेल दुर्घटनाएं होती थीं। लाल बहादुर शास्त्री जी जब रेल मंत्री थे तो रेल दुर्घटना हुई थी तो उन्होंने त्याग-पत्र दिया था। नीतीश कुमार जी भी जब रेल मंत्री थे तो गायसल में दुर्घटना हुई थी तो उन्होंने त्याग-पत्र दिया था, क्योंकि जो दुर्घटना होती है, उससे रेल मंत्री पर बहुत दबाव पड़ता है। आपको याद होगा कि रेल के अन्दर जब एन.डी.ए. की सरकार थी तो पहली बार रेल के ट्रैक को...(व्यवधान)
जल संसाधन मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री जयप्रकाश नारायण यादव): आप गोधरा पर भी बोलिये।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): गोधरा? हम बहुत बढ़िया बोल रहे हैं, ज्यादा टोकिएगा तो हम बहुत बढ़िया तरीके से बोलेंगे। आप मंत्री हैं, चुपचाप बैठ जाइये।...(व्यवधान)
श्री जयप्रकाश नारायण यादव: नीतीश कुमार जी वहां गये थे या नहीं?
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): हम बढ़िया तरीके से बोल रहे हैं, आप माहौल खराब मत कीजिए। आपकी बीच में बोलने की आदत है। यह रेल मंत्री का भाषण है और जवाब मैं दे रहा हूं, आप कौन हैं? आप राज्य मंत्री हैं। ...(व्यवधान)
श्री जयप्रकाश नारायण यादव: हम आपको याद दिला रहे हैं।...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): आपको जो खाद विभाग मिला है, उसको तो आप चला नहीं पा रहे हैं और बीच-बीच में बोल रहे हैं। लालू जी को जयप्रकाश जी की मदद की जरूरत नहीं है, लेकिन जबरदस्ती मदद कर रहे हैं। आप बैठ जाइये।...(व्यवधान)
श्री जयप्रकाश नारायण यादव: सदन में सब को बोलने का अधिकार है।...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): नहीं, आपको अधिकार नहीं है। आप मंत्री हैं, आपको बीच में टोकने का अधिकार नहीं है। आप नये-नये मंत्री बने हैं, पढ़कर आइये, आपको पता नहीं है। यह आपके विभाग का मामला नहीं है। आप बीच में बिना बात के बोल रहे हैं।...(व्यवधान)
रेल मंत्री (श्री लालू प्रसाद): जयप्रकाश जी आपकी हैल्प कर रहे हैं। जो ट्रेन में आग लगी तो वहां नीतीश जी नहीं गये थे? आपको वह बता रहे हैं, आपकी हैल्प कर रहे हैं।...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): रेल मंत्री जी, बड़े अच्छे माहौल में चर्चा चल रही है और थोड़ा टोकने के बाद मेरा भी उत्साह बढ़ जाता है। पहले तो मैं सीधे ट्रैक पर जा रहा था और लालू जी के लिए मैंने कोई ऐसा बात नहीं की, लेकिन जयप्रकाश जी मुंगेर में मेरे पड़ोसी हैं, पता नहीं अगली बार पड़ोसी वहां से चुनाव लड़ेंगे कि नहीं। वहां चर्चा दूसरी है, लेकिन ये बीच में आकर कूद गये। पड़ोसी का धर्म भी नहीं निभा रहे हैं, इनको क्या बतायें।...(व्यवधान)
श्री जयप्रकाश नारायण यादव: मैं अपने धर्म का निर्वाह कर रहा हूं, आप बोलिये।...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): मैंने आपसे यहां पर कहा कि आज रेलवे को सुरक्षा के ऊपर बहुत ध्यान देने की जरूरत है और रेलवे ट्रैक की सुरक्षा, सेफ्टी पर जब एन.डी.ए. की सरकार थी तो पहली बार 17 हजार करोड़ रुपये का इन्तजाम वाजपेयी जी की सरकार ने किया था, तब नीतीश कुमार जी रेल मंत्री थे। लेकिन आज इस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा। आज तो रेलवे सॉफ्ट टार्गेट हो गई है। दुनिया के जितने भी आतंकवाद फैलाने वाले लोग हैं, उनके लिए अगर सॉफ्ट टार्गेट है तो वे सीधे स्टेशन पहुंच जाते हैं और आप जानते हैं कि मुम्बई में ताज पर अटैक की बहुत चर्चा हो रही है, लेकिन जितने लोग ताज के अन्दर नहीं मारे गये, उससे ज्यादा लोग रेलवे स्टेशन पर मारे गये और वहां पर जो सी.सी.टी.वी. कैमरा था और वहां पर जो रेलवे के सुरक्षाकर्मी थे, उनको मैं शाबासी देता हूं कि उन्होंने अच्छा काम किया, लेकिन इसको और चाक-चौबन्द करने की जरूरत है। इस नाते विपक्ष के नाते हमारा काम इनको याद दिलाना है, क्योंकि जब हम सत्ता में रहे और सत्ता में रहते हुए विपक्ष की बात को ध्यान से सुनना चाहिए और लालू जी बहुत ध्यान से इस बात को सुन रहे हैं, लेकिन पीछे से कुछ लोग अपनी बातें बीच में डाल रहे हैं, नहीं तो यह बहस अभी बहुत अच्छी चल रही है।
यू.पी.ए. की सरकार ने अभी तक तमाम रेलवे स्टेशनों पर जो सी.सी.टी.वी. कैमरे लगाने चाहिए, स्मार्ट वीडियो कैमरे लगाने चाहिए, जहां तक तमाम रेलवे स्टेशनों पर मैटल डिटैक्टर लगाने चाहिए, वह काम अभी तक नहीं किया। यहां तक कि जो रेलवे प्रोटैक्शन फोर्स है, उसमें भी अभी एक हजार पद रिक्त पड़े हैं। मैं आपके माध्यम से रेल मंत्री जी से अनुरोध करना चाहता हूं कि आज कहीं पर रेल में क्राइम होता है तो जी.आर.पी. और आर.पी.एफ. का बहुत झगड़ा होता है। हर बार लोग कहते हैं कि जी.आर.पी. जिम्मेदार है, यह आर.पी.एफ. जिम्मेदार है। हम उम्मीद करते थे कि रेलवे के लिए प्रोटैक्शन फोर्स को पूरे अधिकार देकर उस पर काम करना चाहिए। [R86]
(m3/1725/cp/brv)[p87]
इसमें किसी की जिम्मेदारी फिक्स होनी चाहिए। रेलमंत्री जी ने अपने भाषण में कहा था कि इसको हम ध्यान में रखने वाले हैं। मुझे अच्छी तरह याद है कि इस पर जो काम हुआ, रेल मंत्री जी, नागरिक उड्डयन मंत्री के प्रोग्राम में कश्मीर गए थे। मेरा सौभाग्य है कि जिस एयरपोर्ट का ये उद्घाटन करने गए थे, माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी के हाथों से मैंने उस एयरपोर्ट का शिलान्यास किया था। इस काम को आगे बढ़ाया। एक तरफ हमारा पत्थर लगा हुआ है कि हमने उसका शिलान्यास कराया और दूसरी तरफ रेलमंत्री जी, नागरिक उड्डयन मंत्री जी के साथ उसका उद्घाटन करने गए थे। रेलवे, सिविल एविएशन और सर्फेस ट्रंसपोर्ट में जो काम अभी शुरू करते हैं, उसका नतीजा तुंत नहीं आता है। उसमें चार से पांच साल तक लग जाते हैं। जब आप कश्मीर उद्घाटन करने के लिए गए, उस वक्त आपने यूपीए चेयरपर्सन का नाम लिया, लेकिन जिसने उसकी शुरूआत की थी, माननीय अटल बिहारी वाजपेयी जी, नीतीश कुमार जी उनका कहीं नाम नहीं लिया गया। वह काम हम लोगों ने शुरू किया था।
महोदय, हम आपसे कहना चाहते हैं कि दो गाड़ियों में जो टक्कर होती थी, उसके लिए एक सिस्टम बना है, जिसमें टक्कररोधी यंत्र लगता है। मुझे अच्छी तरह याद है जब नीतिश कुमार जी रेलमंत्री थे, तो उन्होंने किशनगंज में टक्कररोधी उस वक्त लगाया था। जब नीतीश कुमार जी जब टक्कररोधी यंत्र लगाने किशनगंज गए थे, तो उस वक्त मैं वहां के सांसद के तौर पर और माननीय तसलीम साहब वहां के विधायक के तौर पर उस कार्यक्रम मौजूद थे। ...(व्यवधान) विधायक भी थे।
कृषि मंत्रलाय में राज्य मंत्री तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री तस्लीमुद्दीन) : आपकी याददाश्त भाजपा में रहते-रहते कमजोर हो गयी है, अपनी याददाश्त मजबूत करिए। ...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): मैंने यह कहा कि ये वहां के विधायक थे। लालू यादव जी रेल मंत्री हैं, लेकिन छपरा के सांसद भी हैं। इनको छपरा का सांसद कह दीजिए तो ये गुस्सा जाएंगे, ऐसा तो नहीं है। लेकिन आप विधायक और मंत्री थे, यह कहना है, तो याददाश्त कमजोर नहीं है। मैंने ह्यूमर में आपका नाम लिया, नहीं तो मैं आपका नाम भी नहीं लेता। लेकिन मैंने ससम्मान नाम लिया। मैंने सम्मान के साथ आपका नाम लिया और आप उठे। आपसे तो यही उम्मीद है कि उठेंगे, तो अच्छा बोलेंगे नहीं। आपके मुंह से अच्छी बात निकल नहीं सकती। ...(व्यवधान)
श्री तस्लीमुद्दीन : मेरा नाम लेने से उत्थान हो गया, नहीं तो जहन्नुम में जाएंगे। ...(व्यवधान)
सभापति महोदय (डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय): शाहनवाज जी आप आगे बढ़िए।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): टक्कररोधी यंत्र वहां लगा, तो आज रेलवे एक्सीडेंट नहीं हो रहा है, आज गैसेल जैसी घटना नहीं हो रही, वह इसलिए नहीं हो रही है कि नीतीश कुमार जी ने अच्छा काम किया था। उस काम का नतीजा उनको नहीं मिला, क्योंकि वह रेल मंत्री नहीं हैं। उसका फायदा सबसे ज्यादा माननीय रेल मंत्री लालू प्रसाद जी को मिला। काम उन्होंने किया, फीता आप काटिए, नारियल आप फोड़िए, क्योंकि जो काम उन्होंने किया है, उस काम का क्रेडिट आप ले रहे हैं...(व्यवधान) और जो काम अभी आप करेंगे, उस काम का क्रेडिट जब हमारी सरकारी आएगी, उसे मिलेगा। इसलिए जो काम आप शुरू करेंगे, उसका क्रेडिट आगे आने वाले को मिलता है।
महोदय अब मैं रेलवे के किराये पर आता हूं। रेलवे को लेकर बड़ी चर्चा हो रही है कि रेलवे का तो किराया ही नहीं बढ़ा, बल्कि किराया घटा दिया गया। इस बात की बड़ी चर्चा इस देश में हो रही है। शासन के दौरान यह किराया कैसे बढ़ा? आपने कहा कि एक रूपया कम कर दिया, दो प्रतिशत कम कर दिया, देश में डीजल का रेट 70 प्रतिशत से ज्यादा घट गया और अगर आपने 2 प्रतिशत कम कर दिया, ...(व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र प्रकाश गोयल (हापुड़): तीन साल पहले क्या था डीजल का रेट ...(व्यवधान) … (Not recorded)
सभापति महोदय : रिकार्ड में नहीं जाएगा।
...(व्यवधान) (कार्यवाही-वृत्तान्त में सम्मिलित नहीं किया गया।)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): महोदय, बहुत अनपार्लियामेंट्री बात ये कह रहे हैं। इनको मैं इतना खराब बोलूंगा कि ........(व्यवधान) [p88]
(n3/1730/nsh-ksp)
…(व्यवधान)
सभापति महोदय (डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय): तस्लीमुद्दीन जी, इन्हें डिस्टर्ब मत कीजिए।…(व्यवधान)
श्री संतोष गंगवार (बरेली): महोदय, यह बड़े दुर्भाग्य की बात है। मंत्री जी को इस ढंग से हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।...(व्यवधान)
रेल मंत्री (श्री लालू प्रसाद) : बैठे-बैठे बोलने का नोटिस नहीं लिया जाता। आप आगे बोलिए।...(व्यवधान)
श्री संतोष गंगवार (बरेली): मंत्री जी को बोलना नहीं चाहिए।...(व्यवधान) आप वैसे ही प्रभावित हैं, यह बोलकर और ज्यादा प्रभावित थोड़ी हो जाएंगे।...(व्यवधान)
श्री लालू प्रसाद : ठीक है, आप आगे बोलिए।...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): एनडीए शासन के दौरान जो तत्काल कोटा था, तत्काल कोटे में यह होता है कि तुंत फैसीलिटी मिलती है। जैसे अगर आप एयरपोर्ट पर जाते हैं और तत्काल में सीट लेते हैं तो वह सस्ती मिलेगी और अगर पहले से रिजर्व करवाएंगे तो एक रेट पर टिकट दी जाती है। लेकिन रेलवे में उल्टा हो रहा है। आपने किराया नहीं बढ़ाया। पहले कुछ सीटें बढ़ती थीं और उसके लिए एक्सट्रा बोगी लगती थी। लेकिन लालू जी ने तत्काल कोटे को बढ़ाकर गाड़ी के 30 प्रतिशत कोटे को तत्काल में कर दिया। अगर किसी सिनेमा हाल में पांच सौ टिकट हों और उनमें से दो सौ टिकट ब्लैक कर दिए जाएं, तत्काल में दे दिए जाएं, डेढ़ सौ रुपये, दो सौ रुपये बढ़ाकर ब्लैक हो जाए, तो फिर कौन पकड़ेगा। आज रेलवे में काफी लम्बी वेटिंग चलती है, लेकिन यह अंकों की जादूगरी है कि आपने 30 प्रतिशत सीटें तत्काल में रख दीं और वह भी पांच दिन पहले। उसमें भी डेढ़ सौ रुपये से तीन सौ रुपये तक वसूले जा रहे हैं। आप एक तरफ कह रहे हैं कि हम किराया नहीं बढ़ा रहे हैं और दूसरी तरफ करोड़ों रुपये जनता की जेब से निकाले जा रहे हैं।
मैं कहना चाहता हूं कि आपने प्लेटफार्म टिकट के दाम बढ़ा दिए। पहले वह दो रुपये में मिलता था लेकिन अब पांच रुपये में मिल रहा है। तत्काल में ऐसा है कि यदि आपको आगरा जाना है तो आपको कोलकाता का टिकट लेना पड़ता है। यह जनता के ऊपर बहुत बड़ा जुल्म है। हम तो यह कहते हैं कि अगर आप जनता को रिलीफ देना चाहते हैं, आप जनता को रिलीफ देने के लिए मंत्री बने हैं, लेकिन आपकी वजह से जनता की जेब पर इतना बड़ा बोझ डाला जा रहा है। मैं कहना चाहता हूं कि ट्रेन की दूरी बढ़ाए बिना यानी ट्रेन की रफ्तार बढ़ाए बिना आपने उसे सुपरफास्ट कर दिया। आप दो रुपये कम कर रहे हैं लेकिन उसके बाद जनता से सुपरफास्ट का किराया वसूला जा रहा है।
सभापति जी, मैं आपके माध्यम से रेल मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि रेल में सुविधाओं की बहुत कमी हुई है और पैसेंजर ट्रेन सुपरफास्ट हो रही है।...(व्यवधान) रेलवे के अंदर कोई सुधार नहीं हुआ है। अगर आप देखें, गाड़ी के अंदर गंदे बैडिंग हैं। शौचालय साफ नहीं हैं। खाने का अच्छा इंतजाम नहीं है।...(व्यवधान)
सभापति महोदय : कृपया डिस्टर्ब मत कीजिए।
…(व्यवधान)
सभापति महोदय : आप बैठ जाइए।
…(व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र प्रकाश गोयल (हापुड़): सभापति महोदय, ये असत्य बोल रहे हैं।...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): राजनाथ जी, चुनाव लड़ने गए हुए हैं, इसलिए ये घबराए हुए हैं।...(व्यवधान)
सभापति महोदय : जब आपकी बोलने की बारी आएगी, तब आप जवाब दीजिएगा।
…(व्यवधान)
श्री सुरेन्द्र प्रकाश गोयल (हापुड़): सभापति महोदय,...(व्यवधान)
सभापति महोदय : आप बोलते जाइए। आपकी कोई बात रिकार्ड में दर्ज नहीं हो रही है।
...(व्यवधान) (कार्यवाही-वृत्तान्त में सम्मिलित नहीं किया गया।)
सभापति महोदय : शाहनवाज़ जी, आप उधर ध्यान मत दीजिए, आप बोलिए।
…(व्यवधान)[N89]
(o3/1735/rps/rs[r90])
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): महोदय, मैं आपमें से कहना चाहता हूं कि रेल मंत्री जी ने पहले कहा था कि हम रेलवे की बोगीज में अच्छी खादी की चादर देंगे, खादी की चादर तो दूर वहां फटी हुई चादर मिल रही हैं। हमारे साथी मेम्बर्स ऑफ पार्लियामेंट भी जब सफर करते हैं, सभी लोग इससे सहमत होंगे कि आज रेलवे में सुविधाएं बढ़ी नहीं हैं, सुविधाएं घटी हैं। इस दौर में जब सुविधाएं बढ़ाने का दौर है, आपने सुविधाओं पर कोई काम नहीं किया है। रेलवे बजट में कोई नई घोषणा नहीं की गयी है, रेलवे बजट में वही पुरानी घोषणाएं हैं। एक शायर ने कहा है कि बोलते लफ्जों को दोहराना बड़ी बात नहीं, गूंगे लफ्जों को जुबां दो तो करामात होगी। लेकिन आप तो वही बात दोहरा रहे हैं, यहां ट्रेन चला दी, इधर से रूट उधर कर दिया और बड़े हृदय की बात दिखाते हैं कि जब भी कोई एमपी जाता है कि मेरे रूट पर ट्रेन चाहिए, तो दे देते हैं, लेकिन जमीन पर कोई काम नहीं हुआ है।...(व्यवधान)
सभापति महोदय (डॉ. लक्ष्मीनारायण पाण्डेय): गोयल जी, आप बार-बार क्यों उठ रहे हैं? आपकी कोई बात रिकॉर्ड में नहीं जा रही है। आप शांत रहिए।
...(व्यवधान) (कार्यवाही-वृत्तान्त में सम्मिलित नहीं किया गया।)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): महोदय, आज बिहार में बड़ी चर्चा हो रही है, कई सांसद और मेरी पार्टी के जो सांसद हैं, उन्होंने भी कहा कि बिहार के लिए बजट में बड़ा काम हुआ है। भागलपुर के अंदर आपने राजधानी ट्रेन चलाने की बात कही है। अभी जो जमालपुर से हावडा के लिए लाइन जाती है, उस पर मालगाड़ी भी धीरे-धीरे चलती है। हमने आपसे अनुरोध किया था कि उस इलाके में जो रेल के पुल हैं, वे बहुत कमजोर हैं, पहले उनको बनाने की जरूरत है। आपने घोषणा की है, वह अच्छी है। मुझे मालूम है कि वह जल्दी नहीं चल पाएगी, हमारी सरकार को ही चलाना पड़ेगा। हमने आपसे अनुरोध किया था, जब एनडीए की सरकार बनी थी, तब हमने किशनगंज में राजधानी रूकवा ली थी। मैंने रेल मंत्री जी से अनुरोध किया था कि नौगछिया में स्टापेज किया जाए। आप अभी इसे तुंत कर सकते थे, एक-दो मिनट का ही स्टॉपेज दे देते। वहां पर नौगछिया से भागलपुर के बीच पुल आपके जमाने में ही बना, अगर वहां पर स्टॉपेज दे देते तो वहां के लोगों को फायदा हो जाता। आपने डीआरएम कार्यालय की घोषणा हमारे अनुरोध पर कर दी है।...(व्यवधान) रेलवे ट्रैक पर बहुत काम करना चाहिए, लेकिन वह नहीं हुआ है। मैं अनुरोध करना चाहता हूं कि आपने बहुत बड़ा सपना दिखाया है। अभी आप जापान गए थे।...(व्यवधान)
कृषि मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री तस्लीमुद्दीन) : अब तो ट्रेन भागलपुर तक बढ़ा दी है।...(व्यवधान)
सभापति महोदय : आप बार-बार क्यों बोलते हैं।
…(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): (कार्यवाही-वृत्तान्त में सम्मिलित नहीं किया गया।) इस तरह से डिस्टर्ब मत करो।...(व्यवधान)
MR. CHAIRMAN: It will not be recorded.
(Interruptions) … (Not recorded)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): महोदय, माननीय सदस्य अनपार्लियामेंटरी वर्ड्स बोल रहे हैं।...(व्यवधान)
सभापति महोदय : शाहनवाज हुसैन जी, अनपार्लियामेंटरी वर्ड्स को निकाल दिया जाएगा।
...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): महोदय, माननीय सदस्य गलत बोल रहे हैं। (कार्यवाही-वृत्तान्त में सम्मिलित नहीं किया गया।)
सभापति महोदय : शाहनवाज जी, वह बात रिकॉर्ड में नहीं जाएगी।
...(व्यवधान)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): आप ठीक से बोलिए। (कार्यवाही-वृत्तान्त में सम्मिलित नहीं किया गया।)
सभापति महोदय : शाहनवाज हुसैन जी, आपत्तिजनक बात को रिकॉर्ड से निकाल दिया जाएगा।
...(व्यवधान)[r91]
(p3/1740/jr-rcp)
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): इन्हें एक बार मैंने चुनाव में पराजित किया था इसलिए इन्हें जलन हो रही है और ऐसी बात कह रहे हैं।...(व्यवधान) मैंने बहुत संयम बरता है।
सभापति महोदय (डॉ. लक्ष्मी नारायण पांडेय): तस्लीमुद्दीन जी, आपके लिए यह शोभाजनक नहीं है कि आप बार-बार इन्हें टोकें। आप बार-बार इन्हें डिस्टर्ब करके सदन का समय बर्बाद कर रहे हैं।
कृषि मंत्रालय में राज्य मंत्री तथा उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय में राज्य मंत्री (श्री तस्लीमुद्दीन): मेरा नाम लिया गया इसलिए मैंने कहा।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): मैंने अच्छे के लिए नाम लिया था, माननीय कहा था और कहा था कि यह वहां पर मौजूद थे।
सभापति महोदय: जो भी असंसदीय शब्द होगा, वह रिकार्ड से निकाल दिया जाएगा।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): सभापति जी, मैं काफी समय से सांसद रहा हूं और यहां बोलता हूं। मेरे विपक्ष के सभी साथी जानते हैं कि मैं वाणी पर संयम रखता हूं, मैं उम्र का तकाजा रखता हूं और बोलते हुए डय़ू रिस्पेक्ट बोलता हूं, लेकिन मैंने कभी संयम नहीं खोया। मैंने रिस्पेक्ट के साथ बोलते हुए अपना भाषण शुरू किया था और कोई ऐसी बात नहीं कही थी कि माननीय मंत्री के प्रति कोई अवमानना हो। मैंने यह कहा था कि माननीय मंत्री भी वहां पर मौजूद थे। इसके अलावा मैंने कुछ नहीं कहा था। उसके बाद जो चर्चा हुई, जो बातें हुईं, आप मुझे क्षमा करें, मेरा इस तरह का स्वभाव नहीं है। मेरा यह रूप संसद ने पहले कभी नहीं देखा। लेकिन टिट फार टैट के कारण मुझे यह रूप अपनाना पड़ा।
सभापति महोदय: जो भी आपत्तिजनक शब्द होंगे, वे कार्यवाही से निकाल दिए जाएंगे। अब आप अपना भाषण आगे बढ़ाएं और उसे समाप्त करें।
श्री सैयद शाहनवाज़ हुसैन (भागलपुर): सभापति जी, मैं कह रहा था कि लालू जी जापान गए थे। उनके साथ कई सांसद भी थे। लालू जी ने कहा कि उन्होंने रेल मंत्रालय में आकर उसे मुनाफे में ले आए हैं। लेकिन जब प्रणव दा इस सदन में अपना अंतरिम बजट भाषण दे रहे थे, तो उन्होंने यह बात कही कि रेलवे को आज भी बजटरी सपोर्ट की जरूरत है। इसका मतलब यह है कि रेलवे मुनाफे में नहीं है। मेरे पास दैनिक भास्कर समाचार पत्र है, जिसके फ्रंट पेज पर 17 तारीख को प्रणव दा के दिए हुए भाषण में कही गई इस बात के बारे में उल्लेख किया गया है। समयाभाव के कारण मैं उसे नहीं पढ़ना चाहता, लेकिन मैं यह कहना चाहता हूं कि रेल मंत्री जी ने जो 30,000 माल डिब्बों के निर्माण की बात कही है और 4620 सवारी डिब्बों के निर्माण की बात कही है, इन सारी चीजों के लिए रेलवे को छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद और पैसे की जरूरत है। आज इनके पास पैसा सरप्लस नहीं है, इन्हें भारत सरकार से और पैसे की जरूरत है।
1744 बजे (उपाध्यक्ष महोदय पीठासीन हुए)
मैं यह कहना चाहता हूं कि रेल मंत्री जी सफर भारत का सुनाना था, लेकिन सफर जापान का सुना गए। इनके सपनों का भारत कैसा हो, यह बुलेट ट्रेन का सपना दिखा गए। रेल मंत्री जी ने बुलेट ट्रेन के बारे में जो बात कही, मैं कहना चाहता हूं कि आपने अपने रेल बजट में इसका जिक्र किया। आप हों या कल कोई दूसरा रेल मंत्री ही, जो भी हो, उसे एक साल के रेल बजट को अमलीजामा पहनाने में कम से कम पांच साल लगेंगे। आपने तो सिर्फ चार महीनों का ही अंतरिम रेल बजट पेश किया है। आपने बहुत लम्बे ख्वाब हमें दिखाए हैं। मैं जानता हूं कि ख्वाबों की ताबीर देश की जनता तय करेगी। जो इन्होंने एजेंडा सैट किया है, उसके बारे में देश की जनता तय करेगी कि वह इस पर अपनी मोहर लगाती है या नहीं। यह बात आने वाले लोक सभा चुनावों में तय होगी।
मैं रेल मंत्री जी से कहना चाहता हूं कि देश की जनता को आपसे बहुत सी उम्मीदें थीं, लेकिन जो आपने रेल बजट में ख्वाब दिखाए हैं, कुछ दिनों में कोड आफ कंडक्ट लागू हो जाएगा। एक पार्टी के नेता के तौर पर मैंने अपनी बात लोक सभा में रखी और भागलपुर के सांसद के तौर पर मैंने आपका आभार भी व्यक्त किया है। मैं यह कहकर अपनी बात समाप्त करता हूं कि आपने जो बातें कही हैं, उन्हें अमलीजामा तुंत पहनाएं, तब देश की जनता आपका आभार मानेगी।--~--~---------~--~----~------------~-------~--~----~
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