भाजपा के भेदिये
भाजपा के बारे में उसके शिखर के नेताओं में से जसवंत सिन्हा, यशवंत सिंह, सुधीन्द्र कुलकुर्णी, अरूण शौरी, भुवन चन्द्र खण्डूरी, राजनाथ सिंह सूर्य, भैरों सिंह शेखावत, बृजेश मिश्र, आदि के खुलासों/बयानों में ऐसा कुछ भी नया नहीं है जिसे देश के लोग पहले से नहीं जानते हों किंतु इसमें नया यह है कि पहले उनके विरोधी ये आरोप लगाते थे और वे इन्हें विरोध के लिए विरोध बतला कर अपने लोगों को बरगला लेते थे पर अब सारी ही सच्चाइयां उन आरोपों में सम्मिलित उसी गिरोह के लोग बतला, जनता के सामने वादा माफ गवाह बन कर पुष्टि कर रहे हैं।
अब ये आरोप, आरोप नहीं हैं अपितु स्वीकरोक्तियां हैं। ऐसा नहीं है कि अन्दर के लोगों ने बाहर निकल कर इससे पहले सच्चाइयां न बतलायी हों किंतु उनके बतलाने का जो समय रहा विादास्पद रहा है इसलिए उसे उनकी खीझ बता कर उनकी उपेक्षा कर दी गयी थी, अन्यथा श्री बलराज मधोक तो पार्टी के अध्यक्ष और मदनलाल खुराना और कल्याण सिंह जैसे लोग तो भाजपा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रह चुके थे और संघ के अप्रिय भी नहीं रहे। उमा भारती तो न केवल उनके मंदिर अभियान का आक्रामक चेहरा ही रहीं थीं अपितु अपनी वाचालता में अपने महिला व साध्वी चोले की ओट में बेलगाम अभिव्यक्ति की दम पर भाजपा के अग्रिम दस्ते में रही थीं जिन्हें केन्द्र में मंत्री पद ही नहीं दिया गया था अपितु मध्यप्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य के मुख्यमंत्री पद से नवाजा गया था। गोबिन्दाचार्य तो कभी भाजपा के थिंक टैंक कहे जाते थे। छोटे मोटे सांसद और विधायक तो आते जाते ही रहते हैं तथा सबसे अधिक संख्या में दलबदल से जुड़ी पार्टियों में भाजपा सबसे आगे रही है।
साहित्य में भी आजकल आपबीती या आत्मकथाओं का दौर चल रहा है और वे ही रचनाएं सर्वाधिक लिखी व स्वीकार की जा रही हैं जो आत्मकथात्मक हैं व जिनमें आत्मस्वीकृतियां रही हैं। भाजपा के लोग भी इन्हीं आत्म स्वीकृतियों की दम पर पिछले कई दिनों से अखबारों में छाये रहे हैं और स्वाइन फ्लू जैसे संक्रामक रोग के समाचारों का स्थान लेते रहे हैं। चूंकि भाजपा का फैलाव किसी न किसी षड़यंत्र या दुष्प्रचार पर आधारित रहा है इसलिए इन स्वीकरोक्तियों के बाणों से उस गुब्बारे की हवा का निकलना स्वाभाविक है। पिछले दिनों के बयानों से जो बातें सामने आयी हैं उनमें प्रमुख हैं-
• लिब्राहन आयोग की रिपोर्ट सोंपे जाने के बाद उमाभारती का यह कहना कि भाजपा के लोगों को छह दिसम्बर 92 को बाबरी मस्जिद तोड़ने के आरोपों को स्वीकार कर लेना चाहिये। स्मरणीय है कि लिब्राहन आयोग को बयान देते समय सुश्री उमाभारती ने कहा था कि उन्हें कुछ याद नहीं कि उस दिन क्या हुआ था।
• जसवंतसिंह के इस बयान से कि कंधार में आतंकवादियों को छोड़े जाने की पूरी जानकारी लालकृष्ण आडवाणी को थी आडवाणी का असली चेहरा सामने आ गया है जो उनके नकली लौहपुरूष होने के साथ साथ दूसरों पर आतंकवादियों से नरमी बरतने के गैर जिम्मेवाराना बयान की भी पुष्टि करता है।
• गुजरात में अल्पसंख्यकों के सरकारी प्रोत्साहन में हुये नृशंस हत्याकांड में अटल बिहारी बाजपेयी और आडवाणी के असली चेहरे सामने आ गये हैं। इससे न केवल इस बात की ही पुष्टि हो गयी है कि अपने जिन्ना सम्बंधी विवादास्पद बयान के बाबजूद भाजपा के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी तक पहुँच जाने वाले आडवाणी भी मोदी के साथ समान रूप से दोषी हैं। दूसरे उस दौरान अटल बिहारी बाजपेयी के बार बार दिये उन बयानों की भी सच्चाई उजागर हो गयी है, जिसे वे पत्रकारों द्वारा पूछने पर कहा करते थे कि भाजपा नेतृत्व में कोई मतभेद नहीं चल रहा।
• भले ही अरूण शौरी के बयान के बाद आरआरएस प्रमुख ने उनकी मांग को अस्वीकार कर दिया हो पर उससे यह तो स्पष्ट हो गया कि भाजपा आरएसएस के ही संरक्षण और निर्देशों में चलती रही है अन्यथा अपनी कार्यकारिणी में पूरा बहुमत रखने वाले लालकृष्ण आडवाणी को जिन्ना के बयान के बाद स्तीफा क्यों देना पड़ता! इससे भाजपा के प्रत्येक स्तर के संगठन सचिव के पदों पर संघ के लोगों को फिट करने वाले संघ का असत्य भी प्रकट होता है।
दरअसल ये सत्य तो संख्या में बेहद मामूली से सत्य हैं पर जैसे जैसे लोगों में आत्मग्लानि बढेगी वैसे वैसे ही इस बात की बहुत संभावनाएं हैं कि भाजपा का लाक्षागृह ढह जाये जिसे ढहाने के लिए अरूणशौरी आरएसएस से आग्रह कर चुके हैं। गोबिन्दाचार्य जैसे भाजपा के भूतपूर्व थिंकटैंक गोबिन्दाचार्य भी कह रहे हैं कि जैसे आवशयकता पड़ने पर पहले भी जनसंघ का रूप बदल कर वे जनता पार्टी का हिस्सा बनने व बाद में भाजपा के रूप में प्रकट होने का काम कर चुके हैं वैसे ही अब भी संघ परिवार के इस राजनीतिक मुखौटे को अपना पुराना मुखौटा बदल कर नया कर लेना चाहिये। सच है कि दीवालिया हो जाने के बाद फर्में अपने नये नाम के रजिस्ट्रेशन के साथ प्रकट होती हैं जिससे उनके पुराने कर्जे भुला दिये जाते हैं।
रोचक यह है कि जो लोग भाजपा के साथ भावनात्मक रूप से जुड़े रहे वे भी अब उससे कन्नी काट रहे हैं जो कभी उसके अंध समर्थक रहे थे तथा दूसरी ओर भी आरएसएस भी पदाधिकारियों के मुखौटे बदल कर भाजपा के बारे में पुन: नया भ्रम बनाने की जुगाड़ में है जो वसुंधरा राजे, भगतसिंह कोशियारी, के समर्थकों समेत बिहार के असंतुष्ट बहुमत विधायकों को भी समेट कर रख सके। अगर केन्द्र सरकार राजनीतिक भ्रष्टाचार से एकत्रित धन को सचमुच ही बाहर निकालने के प्रयास करेगी जैसा कि प्रधानमंत्री ने आग्रह किया है तो भाजपा का धरातल ही खिसक जायेगा।
वीरेन्द्र जैन
--~--~---------~--~----~------------~-------~--~----~
View/Post profile at http://hindtoday.com/bihar/HTMemberList.aspx
To unsubscribe from this group, send email to BIHARTODAY-unsubscribe@googlegroups.com
For more options, visit this group at http://groups.google.com/group/BIHARTODAY?hl=en
-~----------~----~----~----~------~----~------~--~---
No comments:
Post a Comment