बिहार की कथा से गाथा तक का सफ़र !
आज (२२ मार्च 2012) बिहार स्थापना दिवस मना रहा है, नील गगन निचे रौशनी से नहा रहा है पूरा बिहार, विहार से बिहार बना ......
दरअसल इस भगौलिक सीमा में असंख बौध विहार थे,! यह विहार ही बिहार उच्चारित होने लगा ,और नाम हो गया :"बिहार"....
बिहार से जुडी अनगिनत कथाये है,! मगध के राजा अजाद्शत्रु ,बिम्सार की कथाये है , तो चाणक्य और चन्द्र गुप्ता,की भी ! अशोक के ९९ भएयों के मारे जाने की कथा भी चर्चित है ! शेरशाह सूरी से हूमाओं के पराजित होने का इतिहास ........! १८५७ में कूवर सिंह के विद्रोह का बिगुल बज उठा और जवाहिर रजवार के उफनते खून की कथाएं .....! समय चक्र के घूमते पहियों से निकली वेसुमार कथाये के बिच आधुनिक बिहार बनाने की यात्रा है !और अब बिहार के बदलने की "कथा यात्रा "है !
वस्तुतः बिहार की लडाई बिहारिओ की पहचान और अस्मिता के साथ शुरू हुई थी!बिहार अलग प्रान्त बने, इसकी वकालत सबसे पहले उर्दू पेपर मूर्ध-इ-सुलेमान ने १८७६ में की थी !पेपर कसीद ने बिहार को बंगाल से अलग करने की वकालत की ! बिहार को बंगाल से अलग करने की लडाई की एक कथा है ! १८९३ में डा. सच्चितानंद सिन्हा जब इंग्लैंड से लौट रहे थे, तो एक सज्जन ने उनके प्रान्त का नाम पूछा और जब उन्होंने बिहार बताया तो उस सज्जन ने कहा की बिहार का नाम तो उन्होंने नहीं सुना है !श्री सिन्हा दुखी हुए, की उनके प्रान्त का नाम देश के नक्से में नहीं है !बिहार तब बंगाल प्रय्सेड़ेंसी का हिस्सा हुआ करता था !
डा. सच्चितानंदन सिन्हा, महेस नारायण,नंदकिशोरलाल,अली ईमाम ,मौलाना सरफुदीन,दीपनारायण सिंह, परमेश्वर लाल मेहता ,और क्रष्णा सहाय,जैसे लोगो ने इक जुट होकर अलग बिहार प्रान्त के लिए आन्दोलन शुरू किया! बिहार टाईम्स और बिहार अखबार निकले और बिहारी आन्दोलन हुए !तब जाकर १२ दिसम्बर,१९११ को दिल्ली दरबार में "किंग ईम्म्पेरार " ने बिहार को बंगाल से अलग करने की घोसना की !२२ मार्च १९१२ को अलग; बिहार और उड़ीसा प्रदेश की घोसना की गयी !१३ अप्रैल १९१२ को चालर्स स्टुअर्ट बेली ने लेफ्टिनेंट-गवर्नर का कार्य भार संभाला !
उड़ीसा -१ अप्रैल १९३६, और
झारखण्ड- १५ नवम्बर २०००. को बिहार से अलग हुए !
सौ साल पहले बिहार की आबादी (उड़ीसा और छोटानागपुर को छोरकर }सिर्फ १.१५ करोड़ थी ! आज सिर्फ बिहार की आबादी १० करोड़ से अधिक हो गई है !जब अलग प्रान्त बना ,तब ९६ % लोग ग्रामीण इलाकों में रहते थे और ८५ % खेती पर निर्वर थे ! इन सौ सालो में बिहार की आबादी पाँच गुना बढ़ गयी !राज्य की ८५ % से अधिक आबादी अब भी ग्रामीण इलाकों में रहती है !
बिहार की स्थापना के पाँच साल बाद निलहों के अत्याचार से त्रस्त लोगो नेकी गुहार पर महात्मा गाँधी चंपारण गए !तब जाकर चंपारण के लोगो को अत्याचार से मुक्ति मिली ! महात्मा गाँधी ने 1947 में पटना में कहा था :-"सच कहू -तो बिहार के माध्यएम से ही मै प्रसिद्ध हुआ ! इसके पहले बीस बरस तक अफ्रीका में रहा ,परन्तु जब से मैंने चंपारण में आया ,तब से सारा हिंदुस्तान जग उठा ! महात्मा गाँधी ने १९३३-34 में बिहार का सघन दौरा किया ,उनपर लाठिया भी चली ,उन्हें दान में धन भी मिला ! गाँधी के बिहार दौरे पर अमृत बाज़ार पत्रिका ने ४ मार्च १९३४ को लिखा - "ए सक्सेसफुल बेगर " !सहजानंद ने किसनो को संगठित किया और आन्दोलन चलाया !
नए प्रान्त के बनाने से लेकर १९२० के असहयोग आन्दोलन की लडाई में बिहार आगे रहा ! डा. राजेंद्र प्रसाद,श्री कृष्ण सिंह ,अनुग्रह नारायण सिंह,मजरुल हक़ सहित हजारो हजार लोग जेल गए ! १९४२ का आन्दोलन आते-आते कुल २३८६१ लोग जेल गए !आन्दोलन कैसा था ,यह इसी से पता चलता है की बिहार के ३९५ थानों में कुल २१९ थानों पर हमले हुए ,और ८० थानों पर जनता ने कब्ब्जा कर लिया!आन्दोलन के दौरान कुल ६५९ लोगो ने मौत को गले लगाया ! और ९४४ लोग शहीद हुए !
बिहार आजादी के पहले और आजादी के बाद हमेसा से जागृत प्रदेश रहा है ! बिहार के बारे में अनेक लोग अब भी कहते है की यह रास्ता दिखने बाली भूमि रही है ! बिहार को बदलने की लडाई में राम मनोहर लोहिया के सामाजिक आन्दोलन का नारा "पिछरा पावे सौ में साठ" (100 में सिर्फ़ ६० % ),जेपी के नेतृत्त्व में बिहार दूसरी आजादी की लडाई का हिर्दयस्थाली बना ! अस्सी के दसक में मुंगेरी लाल आयोग की रिपोर्ट को कर्पूरी ठाकुर ने लागु किया ~१९९० में आरक्छन और "मंडल" पर लालू प्रसाद उभरे, तो २००५ में सता में आने के बाद नितीश कुमार ने पंचायतो में आरक्छन लागु किया !पंचायतो में अतिपिछड़ो को २० % और महिलायों को ५० % आरक्छन मिला ! बदलाव के बिज बोये गए !आज बिहार एक नए मुकाम पर खड़ा है ! नया वातावरण बना है! बिहार विकास की राह पर है ! मुख्मंत्री नितीश कुमार का कहना है :- " हमारे विकास का असली मकसद अंतिम आदमी का विकास है"!
आज (२२ मार्च 2012) बिहार स्थापना दिवस मना रहा है, नील गगन निचे रौशनी से नहा रहा है पूरा बिहार, विहार से बिहार बना ......
दरअसल इस भगौलिक सीमा में असंख बौध विहार थे,! यह विहार ही बिहार उच्चारित होने लगा ,और नाम हो गया :"बिहार"....
बिहार से जुडी अनगिनत कथाये है,! मगध के राजा अजाद्शत्रु ,बिम्सार की कथाये है , तो चाणक्य और चन्द्र गुप्ता,की भी ! अशोक के ९९ भएयों के मारे जाने की कथा भी चर्चित है ! शेरशाह सूरी से हूमाओं के पराजित होने का इतिहास ........! १८५७ में कूवर सिंह के विद्रोह का बिगुल बज उठा और जवाहिर रजवार के उफनते खून की कथाएं .....! समय चक्र के घूमते पहियों से निकली वेसुमार कथाये के बिच आधुनिक बिहार बनाने की यात्रा है !और अब बिहार के बदलने की "कथा यात्रा "है !
वस्तुतः बिहार की लडाई बिहारिओ की पहचान और अस्मिता के साथ शुरू हुई थी!बिहार अलग प्रान्त बने, इसकी वकालत सबसे पहले उर्दू पेपर मूर्ध-इ-सुलेमान ने १८७६ में की थी !पेपर कसीद ने बिहार को बंगाल से अलग करने की वकालत की ! बिहार को बंगाल से अलग करने की लडाई की एक कथा है ! १८९३ में डा. सच्चितानंद सिन्हा जब इंग्लैंड से लौट रहे थे, तो एक सज्जन ने उनके प्रान्त का नाम पूछा और जब उन्होंने बिहार बताया तो उस सज्जन ने कहा की बिहार का नाम तो उन्होंने नहीं सुना है !श्री सिन्हा दुखी हुए, की उनके प्रान्त का नाम देश के नक्से में नहीं है !बिहार तब बंगाल प्रय्सेड़ेंसी का हिस्सा हुआ करता था !
डा. सच्चितानंदन सिन्हा, महेस नारायण,नंदकिशोरलाल,अली ईमाम ,मौलाना सरफुदीन,दीपनारायण सिंह, परमेश्वर लाल मेहता ,और क्रष्णा सहाय,जैसे लोगो ने इक जुट होकर अलग बिहार प्रान्त के लिए आन्दोलन शुरू किया! बिहार टाईम्स और बिहार अखबार निकले और बिहारी आन्दोलन हुए !तब जाकर १२ दिसम्बर,१९११ को दिल्ली दरबार में "किंग ईम्म्पेरार " ने बिहार को बंगाल से अलग करने की घोसना की !२२ मार्च १९१२ को अलग; बिहार और उड़ीसा प्रदेश की घोसना की गयी !१३ अप्रैल १९१२ को चालर्स स्टुअर्ट बेली ने लेफ्टिनेंट-गवर्नर का कार्य भार संभाला !
उड़ीसा -१ अप्रैल १९३६, और
झारखण्ड- १५ नवम्बर २०००. को बिहार से अलग हुए !
सौ साल पहले बिहार की आबादी (उड़ीसा और छोटानागपुर को छोरकर }सिर्फ १.१५ करोड़ थी ! आज सिर्फ बिहार की आबादी १० करोड़ से अधिक हो गई है !जब अलग प्रान्त बना ,तब ९६ % लोग ग्रामीण इलाकों में रहते थे और ८५ % खेती पर निर्वर थे ! इन सौ सालो में बिहार की आबादी पाँच गुना बढ़ गयी !राज्य की ८५ % से अधिक आबादी अब भी ग्रामीण इलाकों में रहती है !
बिहार की स्थापना के पाँच साल बाद निलहों के अत्याचार से त्रस्त लोगो नेकी गुहार पर महात्मा गाँधी चंपारण गए !तब जाकर चंपारण के लोगो को अत्याचार से मुक्ति मिली ! महात्मा गाँधी ने 1947 में पटना में कहा था :-"सच कहू -तो बिहार के माध्यएम से ही मै प्रसिद्ध हुआ ! इसके पहले बीस बरस तक अफ्रीका में रहा ,परन्तु जब से मैंने चंपारण में आया ,तब से सारा हिंदुस्तान जग उठा ! महात्मा गाँधी ने १९३३-34 में बिहार का सघन दौरा किया ,उनपर लाठिया भी चली ,उन्हें दान में धन भी मिला ! गाँधी के बिहार दौरे पर अमृत बाज़ार पत्रिका ने ४ मार्च १९३४ को लिखा - "ए सक्सेसफुल बेगर " !सहजानंद ने किसनो को संगठित किया और आन्दोलन चलाया !
नए प्रान्त के बनाने से लेकर १९२० के असहयोग आन्दोलन की लडाई में बिहार आगे रहा ! डा. राजेंद्र प्रसाद,श्री कृष्ण सिंह ,अनुग्रह नारायण सिंह,मजरुल हक़ सहित हजारो हजार लोग जेल गए ! १९४२ का आन्दोलन आते-आते कुल २३८६१ लोग जेल गए !आन्दोलन कैसा था ,यह इसी से पता चलता है की बिहार के ३९५ थानों में कुल २१९ थानों पर हमले हुए ,और ८० थानों पर जनता ने कब्ब्जा कर लिया!आन्दोलन के दौरान कुल ६५९ लोगो ने मौत को गले लगाया ! और ९४४ लोग शहीद हुए !
बिहार आजादी के पहले और आजादी के बाद हमेसा से जागृत प्रदेश रहा है ! बिहार के बारे में अनेक लोग अब भी कहते है की यह रास्ता दिखने बाली भूमि रही है ! बिहार को बदलने की लडाई में राम मनोहर लोहिया के सामाजिक आन्दोलन का नारा "पिछरा पावे सौ में साठ" (100 में सिर्फ़ ६० % ),जेपी के नेतृत्त्व में बिहार दूसरी आजादी की लडाई का हिर्दयस्थाली बना ! अस्सी के दसक में मुंगेरी लाल आयोग की रिपोर्ट को कर्पूरी ठाकुर ने लागु किया ~१९९० में आरक्छन और "मंडल" पर लालू प्रसाद उभरे, तो २००५ में सता में आने के बाद नितीश कुमार ने पंचायतो में आरक्छन लागु किया !पंचायतो में अतिपिछड़ो को २० % और महिलायों को ५० % आरक्छन मिला ! बदलाव के बिज बोये गए !आज बिहार एक नए मुकाम पर खड़ा है ! नया वातावरण बना है! बिहार विकास की राह पर है ! मुख्मंत्री नितीश कुमार का कहना है :- " हमारे विकास का असली मकसद अंतिम आदमी का विकास है"!
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