दिल्ली को जब भारत और पटना को बिहार की राजधानी बनाने का फैसला हुआ,तो उस समय लन्दन में दिलचस्प सवाल-जबाब का दौर शुरू हो गया था ! सवाल राजधानी से जमीन की कीमत बदने और उसके अधिग्रहण से जुडा हुआ था ! कलकत्ता से भारत की राजधानी के स्थानांतर और पटना में राजधानी के निर्माण को लेकर लन्दन में जमीन की कीमतों को लेकर चिंता व्यक्त की जा रही थी !एक सौ साल पहले कभी पटना में ट्राम चलने की बात हुई थी और आज मेट्रो और मोनो रेल की बात हो रही है !
दिल्ली, भारत और ,पटना को बिहार की राजधानी बनाने जाने के फैसले के बाद हाउस ऑफ़ कॉमंस में संसद वेडौद ने २० फरवरी १९१२ को सरकार से जानना चाह था की दिल्ली को भारत की और पटना को बिहार की राजधानी बनाने से दोनों स्थानों पर जमीन की कीमतों में भरी उछाल होगी ,तो इसके लिए सरकार कौन सा कदम उठाने जा रही है !
न्यूमैन ने पूछा की दिल्ली को राजधानी बनाये जाने के फैसले के पहले सरकार ने कोइ ऐसा कदम उठाया है, की सरकारी कार्यालय की स्थापना के लिए जमीन उचित मूल्य पर उपलब्ध हो और साथ ही साथ अंग्रेजो की आबादी के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो सके !
मंतायेग्यु ने बताया था की दिल्ली और पटना को राजधानी बनाने की घोषना के तुरंत बाद भारतीय भूमि अधिग्रहण अधिनियम ज़ारी किया गया !उन्होंने कहा था की दिल्ली में सरकार को १८० वर्ग मिल स्थान की जरुरत होगी, इसी तरह पटना में भी जमीन की जरुरत पर करवाए की जा रही है !
जमीन से जुड़े इस सवाल के ४ माह के बाद १३ जून को हाउस ऑफ़ कॉमंस में जेडी रिश ने पूछा ; की उड़ीसा और बिहार की राजधानी पटना को बनाये जाने पर कितना खर्च आएगा ? मंतैगयु ने कहा था ;की ३.३३ लाख से ४ लाख पौंड तक की संभावना है, बाद में तत्कालीन भारत सरकार से बिहार सरकार को राजधानी के लिए १,२२ करोड़ रूपये मिले !
२८ जनवरी १९१६ को सरकार ने पटना मुनिस्पैलत्टी का नाम बदल कर पटना सिटी मुनिस्पैलत्टी कर दिया गया !नए पटना के निर्माण के लिए पि द्ब्ल्यु ड़ी बाकिपुर को दो भागो विभक्त किया गया ! नये आधुनिक पटना के निर्माण की करवाई शुरू हुए !
आर्किटेक्ट थे मिस्टर आई एफ मुर्निग्स और लुटियंस जिन्होंने पुराना सचिवालय , राजभवन,हाईकोर्ट,का निर्वान किया !यह नया क्षेत्र न्यू कैपिटल एरिया कहलाया !
दिल्ली, भारत और ,पटना को बिहार की राजधानी बनाने जाने के फैसले के बाद हाउस ऑफ़ कॉमंस में संसद वेडौद ने २० फरवरी १९१२ को सरकार से जानना चाह था की दिल्ली को भारत की और पटना को बिहार की राजधानी बनाने से दोनों स्थानों पर जमीन की कीमतों में भरी उछाल होगी ,तो इसके लिए सरकार कौन सा कदम उठाने जा रही है !
न्यूमैन ने पूछा की दिल्ली को राजधानी बनाये जाने के फैसले के पहले सरकार ने कोइ ऐसा कदम उठाया है, की सरकारी कार्यालय की स्थापना के लिए जमीन उचित मूल्य पर उपलब्ध हो और साथ ही साथ अंग्रेजो की आबादी के लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध हो सके !
मंतायेग्यु ने बताया था की दिल्ली और पटना को राजधानी बनाने की घोषना के तुरंत बाद भारतीय भूमि अधिग्रहण अधिनियम ज़ारी किया गया !उन्होंने कहा था की दिल्ली में सरकार को १८० वर्ग मिल स्थान की जरुरत होगी, इसी तरह पटना में भी जमीन की जरुरत पर करवाए की जा रही है !
जमीन से जुड़े इस सवाल के ४ माह के बाद १३ जून को हाउस ऑफ़ कॉमंस में जेडी रिश ने पूछा ; की उड़ीसा और बिहार की राजधानी पटना को बनाये जाने पर कितना खर्च आएगा ? मंतैगयु ने कहा था ;की ३.३३ लाख से ४ लाख पौंड तक की संभावना है, बाद में तत्कालीन भारत सरकार से बिहार सरकार को राजधानी के लिए १,२२ करोड़ रूपये मिले !
२८ जनवरी १९१६ को सरकार ने पटना मुनिस्पैलत्टी का नाम बदल कर पटना सिटी मुनिस्पैलत्टी कर दिया गया !नए पटना के निर्माण के लिए पि द्ब्ल्यु ड़ी बाकिपुर को दो भागो विभक्त किया गया ! नये आधुनिक पटना के निर्माण की करवाई शुरू हुए !
आर्किटेक्ट थे मिस्टर आई एफ मुर्निग्स और लुटियंस जिन्होंने पुराना सचिवालय , राजभवन,हाईकोर्ट,का निर्वान किया !यह नया क्षेत्र न्यू कैपिटल एरिया कहलाया !
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