9th-century marble sculpture of Saraswati
The Name Saraswati comes from saras [meaning "flow"] and wati [meaning "she who has flow"]. In Telugu Language she is also known as chaduvula talli, Sharada. In Konkani, she is referred to as Sharada, Veenapani, Pustaka dharini, Vidyadayini. In Kannada, variants of her name include Sharade, Sharadamba, Vani, Veenapani in the famous Shringeri temple. In Tamil, she is also known as kalaimagal , Kalaivaani , Vaani . She is also addressed as Sharada (the one who loves the autumn season), Veena pustaka dharani (the one holding books and a Veena), Vaakdevi, Vagdevi, Vani (all meaning "speech"), Varadhanayagi (the one bestowing boons) and many other names.
या देवी सर्वभूतेषु सरस्वतीरुपेण संस्थिता |
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ||
In addition to her role as a goddess of learning, Saraswati is known as "Druga" in reference to her role as a guardian of Earth. "Druga" refers to her fighting off Drug, the name for a female demon in ancient Veda, from the Sanskrit root druh, "to be hostile". The name Druga is made of Sanskrit dru or dur ("with difficulty") and ga or ja ("come", "go").
Saraswati (Sanskrit: सरस्वती, Sarasvati) is the hindu goddess of knowledge, music, arts and science. She is the companion of Brahma, also revered as his Shakti (power). It was with her knowledge, that Brahma created the universe. She is a part of trinity "Saraswati", "Lakshmi" and "Parvati". All the three forms help trinity "Brahma", "Vishnu" and "Shiva" in the creation, maintenance and destruction of the Universe. The Goddess is also revered by believers of the Jain religion of west and central India
significance :-
Saraswati is strongly associated with flowing water in her role as a goddess of knowledge. She is depicted as a beautiful woman to embody the concept of knowledge as supremely alluring. She possesses four arms, and is usually shown wearing a spotless white saree and seated on a white lotus or riding a white swan.
According to writer Sailen Debnath, "Saraswati is the Goddess of learning; and the meaning of the goddess in association of all the symbols with her signifies that if a learner really understands and pursues the connotative and denotative meaning of the goddess, he or she can easily advance in acquiring knowledge. The realization of the Goddess makes the learner ready to embark on the world of knowledge and wisdom. Debneth identifies seven primary characteristics and symbols of the goddess that relate to her role as a goddess of knowledge.
- Saraswati is the goddess of learning, and not a god; and this feminine aspect signifies creativity, as a woman can originate a human being in her womb.
- White colour of the goddess signifies spotless character and immaculate mind.
- Seated on an inverted white lotus meaning to be in search of the light of knowledge.
- White swan is the vehicle of the goddess; and this is indicative of inquisitiveness.
- The Goddess is playing the vina; and this signifies harmony of all mental strings, agencies and attitudes.
- The goddess is worshipped with Palash, a red odourless flower; and this symbol is indicative of being free from putrefied preconceptions.
- Inkpot with pen and books as symbols."
अगर आप मंदिर जा रहे हैं, तो पहले ॐ गं गणपतये नम: मन्त्र का जाप करें। उसके बाद माता सरस्वती के इस मन्त्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम: का जाप करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस मन्त्र के जाप से जन्मकुण्डली के लग्न (प्रथम भाव), पंचम (विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैं। इन तीनों भावों (त्रिकोण) पर श्री महाकाली, श्री महासरस्वती और श्री महालक्ष्मी का अधिपत्य माना जाता है। मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी कृपा से ही कवि कालिदास ने यश और ख्याति अर्जित की थी। वाल्मीकि, वसिष्ठ, विश्वामित्र, शौनक और व्यास जैसे महान ऋषि देवी-साधना से ही कृतार्थ हुए थे।
सरस्वती प्रार्थना
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा ॥1॥
जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चंद्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके हाथ में वीणा-दण्ड शोभायमान है, जिन्होंने श्वेत कमलों पर आसन ग्रहण किया है तथा ब्रह्मा, विष्णु एवं शंकर आदि देवताओं द्वारा जो सदा पूजित हैं, वही संपूर्ण जड़ता और अज्ञान को दूर कर देने वाली माँ सरस्वती हमारी रक्षा करें॥1॥
शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्॥2॥
शुक्लवर्ण वाली, संपूर्ण चराचर जगत् में व्याप्त, आदिशक्ति, परब्रह्म के विषय में किए गए विचार एवं चिंतन के सार रूप परम उत्कर्ष को धारण करने वाली, सभी भयों से भयदान देने वाली, अज्ञान के अँधेरे को मिटाने वाली, हाथों में वीणा, पुस्तक और स्फटिक की माला धारण करने वाली और पद्मासन पर विराजमान् बुद्धि प्रदान करने वाली, सर्वोच्च ऐश्वर्य से अलंकृत, भगवती शारदा (सरस्वती देवी) की मैं वंदना करता हूँ॥2॥
विद्या प्राप्ति का मन्त्र
घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्तविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुमजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्॥
घंटाशूलहलानि शंखमुसले चक्रं धनुः सायकं हस्ताब्जैर्दघतीं धनान्तविलसच्छीतांशु तुल्यप्रभाम्।
गौरीदेहसमुद्भवा त्रिनयनामांधारभूतां महापूर्वामत्र सरस्वती मनुमजे शुम्भादि दैत्यार्दिनीम्॥
स्वहस्त कमल में घंटा, त्रिशूल, हल, शंख, मूसल, चक्र, धनुष और बाण को धारण करने वाली, गोरी देह से उत्पन्ना, त्रिनेत्रा, मेघास्थित चंद्रमा के समान कांति वाली, संसार की आधारभूता, शुंभादि दैत्यमर्दिनी महासरस्वती को हम नमस्कार करते हैं। माँ सरस्वती प्रधानतः जगत की उत्पत्ति और ज्ञान का संचार करती है।
1 comment:
Nice Post.... Its Really give the wide idea about Sarswati Puja(The Goddess Of Vidya). The MANTRA which is posted abouve is really good. Today we have forgot all our ritual things. This Post is very important for today's generation especially for the people who thought they are from modern era. Keep Posting. Thanx....
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