Sunday, May 26, 2013

बिहार के पत्थर में भी है हुस्न, बस डर है की पत्थर दिल इन्सान न हो जाये ..........मुज़फ्फर अली

 http://www.bihartimes.in/newsbihar/2013/May/muzaffarali.jpg

Noted film-makers Muzzafar Ali and Benoy Behl emphasised on the great potential for harnessing religious tourism in Bihar and hailed the Nitish Kumar government for taking steps to give a new shape to tourism in the state.
As he said "
बिहार से मोह्ब्बत की खुसबू आती है ,मोह्ब्बत को नजरअंदाज नहीं करे ,सारी दुनिया इसकी प्यासी है,यही वो खरा सिक्का है ,जो पर्यटन के क्षेत्र में आगे ले जा सकता है .अगर आपके अंदर इश्क है .तो आप मेहमानों को वही  देंगे .उन्होंने कहा कि पर्यटक का मतलब सिर्फ विरासते देखना नहीं है ,बल्कि इंसानों में घुलमिल जाना और एक -दुसरे को समझाना भी है ,सही मायने में खिदमत तभी हो सकती है ,जब दिल में इश्क हो बिहार में सूफी के बड़े -बड़े विद्यावान हुए ,सभी ने जिंदगी का मकसद बताया दिल में खुसबू पैदा करना ,बल्कि आज कई पर्यटन स्थल खुसबू पैदा नहीं कर प् रहे है ,इस वजह से वह अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे है ,
पर्यटन की दो बाते खिदमत और किसी चीज को साझा करना अहम् होती है

Ali and Behl had come to participate in two-day "Bihar Calling: A conference on Tourism, heritage & hospitality" that got off today. Muzaffar Ali said that Bihar had rich heritage and there was tremendous scope to economically harness tourism in the state.

A Padamashri award winner, Ali hailed steps taken by the Nitish Kumar government in developing tourism in Bihar and stressed on expanding scope of hospitality to tap more domestic and foreign tourists to the state.
Benoy Behl, Budhist scholar and film-maker, echoed similar views. Bihar Tourism minister Sunil Kumar Pintu said that Bihar was the confluence of five religions -- Hindu, Sikh, Islam, Jainism and Buddhism -- which is rare and not available in any other state. 

 धर्म की रेखा से बहार निकलना होगा ---------------------कुणाल 

पर्यटन का विकास करना है ,तो संकुचित रेखा से बहार निकलने की आवश्कता है ,ये बाते बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने कही ,उन्होंने कहा की राज्य में मौजूदा खास ऐतिहासिक मंदिरों का विकास करके इन्हे पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है ,बिहार को गौरव प्राप्त है ,सबसे पुराने जीवित मंदिर के मौजूद होने का ,यह मंदिर है -मुंडेश्वरी मंदिर ,यहा सैकड़ो वर्ष पुराने शिलालेख मिले है ,देस में यैसा कोय दूसरा मंदिर नहीं है जंहा से शिलालेख मिले हो ,इस मंदिर में रोप- वे बनाकर और मंदिर पर शिखर लगवाकर इसे विकसित किया जा सकता है ,इसके अलावा कई मंदिर है ,जिन्हें विकसित करने की जरुरत है ,बिहार का छठ पर्व अनोखा है ,देव ( औरंगाबाद ) समेत कई सूर्य मंदिर जिन्हें विकसित कर छठ पर्व को पर्यटकीये दृष्टि से आकर्षित बनाया जा सकता है 









source :PTI

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