Monday, March 26, 2012

बिहार में आध्यात्मिक और धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं पर एक नजर:-

बिहार युगों -युगों से मानस के लिए आध्यात्मिक शरंस्थाली और शांति प्रदाता रहा है !ऋषि-मुनियों को आकर्षित करता रहा है! यंहा के प्राकृतिक सौंदर्य ने मनुष्य को उच्च मनविये आदर्शो की खोज में सलंगन रखा है !यंहा एकांतवास,जीवनजगत, ईस्वर,मोक्ष,आदि आध्यात्मिक जटिल समस्यों पर मनन करने का अवसर भी मिला है ! तीर्थ स्थलों एवं मंदिरों और सामाजिक महत्त्व से जुड़े अहम् अभिलेख, धर्ग्रन्थ,मुद्राए,पांडुलिपियाँ  और चीनी यात्रियो के यात्रा वृतांत इस बात पर मुहर लगते है !आज जीवन की जटिलताओ से दूर आंतरिक सुकून की तलास में देश और दुनिया से लोग आध्यात्मिक- धार्मिक स्थलों का रुख कर रहे है !हिन्दू,बौध, सिख, व् जैन धर्म से जुड़े स्थलों के लिए अलग-अलग सर्किट विकशित कर देश और दुनिया से आस्थावानों के साथ  ही सैलानियो को आकर्षित करने की योजना पर तेजी से अमल हो रहा है !
                                                        बोधगया  
 बिहार अनेक संस्कृतियो का संगम है,जहाँ से समस्त विश्व को सत्य,अहिंसा,करूणा,मैत्री और जीवन के अनेक अनुकर्निए आदर्शो की प्रेरणा मिली है! यंहा की एतिहासिक स्थलों की विश्व स्तर पर अपनी पहचान है ! बौधगया भी इन्ही  में एक है ! यहं की महाबोधी मंदिर सम्पूर्ण विश्व के बौध धर्मालंबियो की आस्था का प्रमुख केंद्र है ! बौधगया में बौध देशो के ३६ बौध मठ स्थापित है !यंहा सुजाता गढ़ है !जहा कृसक कन्या सुजाता ने तपस्यारत सिदार्थ गौतम को खीर खिलाकर माध्यम मार्ग दिया था ! यही वह शंकराचार्य मठ भी है,जो bakhtiyar खिलजी के महाबोधि मंदिर को बचाकर रखने तथा मगध विश्व विद्यालय समेत कई कालेज के लए भूदान के लिए जाता है!
                                                 बुद्ध स्मृति पार्क  
बुद्ध स्मृति पार्क ......फ्रेजर रोड स्तिथ पुराने बकिपुर जेल परिसर के २२ एकड़  जमींन पर बना यह पार्क बौध आर्किटेक्ट का बेजोड़ नमूना है! ट्रेडिसनल आर्ट को मॉडर्न आर्ट के शिल्प में ढाला गया है ! यह पार्क हमारे गौरव शाली अतीत की झाखी है ! यह उस वक्त की याद दिलाता  है,जब महात्मा बुद्ध का आविर्भाव हुआ था ! बुद्ध २५५० वे महापरिनिर्वाण वर्स की स्मृति में बना यह पार्क आने वाली पीढियों को समृद्ध इतिहास और संस्कृति विरासत से रु-ब-रु करा रहा है! पार्कमे २०० फीट  उंची शांति स्तूप,पार्क ऑफ़ मेमोरी ,मेड़ी टेसन और म्यूजियम भी है !स्तूप की खासियत है की हम इसके अन्दर जा सकते है ! स्तूप के अन्दर विभिन्य देशो से मंगाए गए बौध,अवसेश को रखा जायेगा !
                                            ऐतिहासिक धरोहर 
बुद्ध,महाबीर ,चाणक्य,अशोक,शेरशाहव् चन्द्रगुप्त की इस धरती पर ऐतिहासिक धरोहर  की लम्बी लिस्ट है ! पटना,नालंदा,दरभंगा,मधुबनी सासाराम,मुंगेर,भोजपुर,मोतिहारी,मुजफ्फरपुर समेत कई जिलो में ऐतिहासिक इमारते जीर्ण-शीर्ण आवस्था में पड़ी है ! अगर इन को बिकसित कर दिया जाये ,और टूरिस्ट की सुबिधा बड़ा दी जाये तो ये टूरिस्ट के लिये  आकर्षण का केंद्र बन जाएगा ! सरकार ऐसे कई स्थलों को विकसित  कर रही है ! सासाराम  स्थित शेरशाह का मकबरा टूरिस्ट  के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है! इस स्थल को सही तरीके से बिकसित करने की जरुरत है!
                                          गया में पिंड दान  
गया  हिन्दुओ का तृथस्थल है ,जो गया धाम और गया  जी के नाम से प्रसिद्ध है !अथर्वेद में भी मगध का उल्लेख है !इस सहर को "विष्णु  नगरी" भी कहा जाता है ! गया धाम मोक्ष स्थान है !येहा से पूरब में बैदनाथ धाम और  पश्चछिम में कशी विस्वनाथ धाम है !भगवन विष्णु ने गया सुर को सीधे स्वर्ग भेजने की दैवीय शक्ति प्रदान की थी !इसी विस्वास के कारण लाखो लोग यहाँ आपने मृत संबंधियों के श्राध के लिए आते है !
                                            पटना  साहिब 
सिख धर्म के १०वे और अंतिम  गुरु  की जन्मस्थली बिहार ही है ! तखत हरमंदिर पटना साहिब सीखो का दूसरा महान तख़्त है !गुरु गोविन्द शिंह जी का जन्म पटना में २२ दिसम्बर १६६६ को हुआ था , उस वक्त गुरु तेग बहादुर ढाका में थे,यहाँ रखे श्रीगुरु ग्रथ साहिब  को बड़ा साहिब भी कहा जाता है ! यहाँ गुरु गोबिंद सिंह से जुडी कई दुर्लभ और एतिहासिक वस्तुए यहाँ सुरक्षित है ! खास मौके पर इन्हें श्रध्लुओ के लिए निकला जाता है !
                                                    राजगीर 
राजगीर की पाच पहाडियों पर सनातन ,वैष्णव,बौध,हिन्दू,और  सूफी धर्मावलम्बियों से सम्बंधित पाच दर्जन से अधिक ऐसे स्थान है ,जहाँ टूरिस्ट की आवाजाही होती है !यहाँ के २९ स्थलों को राष्ट्रीय धरोहरों में शामिल किया गया है ! सईक्लोपियन वाल ,आजाद्स्त्रू का स्तूप,ब्रह्म कुण्ड (गर्म कुण्ड ),नौलखा जैन मंदिर ,जरासंग का अखारा,शांति स्तूप,बिबिसार जेल,अशोक स्तूप! इन्हें हर कोइ देखना-समझना चाहता है!
                                                   पावापुरी   
पावापुरी वह पवित्र स्थल है,जहा धार्मिक उपदेश देते हुए कार्तिक आमवस्या को तीर्थंकर  भगवन महावीर ने निर्वाण प्राप्त किया था ! महावीर का जहा दाह संस्कार हुआ था ,वहा कमल के तालाब के बिच टापू पर  संगमरमर के सफ़ेद पथ्थरो से छोटे आकर में अतिसुन्दर मंदिर का निर्माण किया गया है !बड़ी झील के बीचो-बीच स्थित होने के कारण इसे जल-मंदिर के नाम से जाना जाता है ! यह मंदिर विमान आकर में बना है
                                                  मनेर शरीफ 
मनेर सूफी संतो की पहली कर्मभूमि रही है !विख्यात  व्याकरण विद पाणिनि और वरूची ने यही रहकर अध्धयन मनन किया था !जिन महान बिभुतियो के अवदान से यह धरती  पवित्र हुई , उनमे हजरत मोमिन,हजरत मोड़.शरफुद्दीन याह्या मनेरी, मोहिउद्दीन इब्रे अरबी ,हजरत अहमद चिर्मपोश ,संत शाह दौलत ,महत्वपूर्ण है ! इन मनीषियों की इबादत एवग जियारत में सिकंदर लोदी, बाबर, हुमायु,अकबर,राजा मान सिंह,ने यहाँ आकर इबादत की है !
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