Monday, May 7, 2012

अपना ध्यान रखे, सोच बदले , दिल की बीमारी से दूर रहे !

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पटना :
बाइपास सर्जरी व एंजियोप्लास्टी हृदय रोग का स्थायी समाधान नहीं है। सबसे अच्छा समाधान है कि लोग अपनी जीवन शैली को बदल दें। इससे बीमारी होने का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा। व्यक्ति खानपान व रहन-सहन में बदलाव, तनाव मुक्त जीवन व योग के माध्यम से ही इस बीमारी को खुद से दूर कर सकते हैं। उक्त बातें एम्स दिल्ली के पूर्व सलाहकार डा. बिमल छाजेड़ ने रविवार को इमामी फाउंडेशन, कोलकाता एवं आध्यात्मिक सत्संग समिति पटना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हृदय रोग निवारण शिविर के समापन समारोह में कहीं। इस मौके पर उन्होंने राजधानीवासियों को तेल की जगह पानी से व्यंजन बनाने की विधि भी सिखाई।
डा. छाजेड़ ने बताया कि हृदय रोगी लगातार प्रकृति के स्वाभाविक और नैसर्गिक वातावरण में जीने की आदत डाल लें। हृदय रोग का मुख्य कारण है हाई कोलेस्ट्राल। और हाई कोलेस्ट्राल होने का कारण है मांसाहार तथा ट्राइ ग्लिसराइड यानी सभी प्रकार के खाद्य तेल। यदि लोग शाकाहारी व्यंजनों और वसा यानी तेल का कम प्रयोग करें तो कोलेस्ट्राल नियंत्रित किया जा सकता है। यदि इसके साथ खानपान में बदलाव, व्यायाम, सुबह टहलना व योग किया जाए तो काफी हद तक हृदय रोग से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि हृदय रोग उपचार में रामबाण मानी जाने वाली बाईपास सर्जरी व एंजियोप्लास्टी के चार-पाच वर्ष बाद पुन: एंजाइना का दर्द शुरू होने की शिकायतें आ रही हैं।
पानी में पकाएं पकवान : डा. छाजेड़ ने बताया कि खाने में स्वाद मसालों से आता है न कि तेल से। तेल चाहे किसी प्रकार का हो वह रक्त में ट्राई ग्लिसराइड बनाता है जो हृदय की धमनियों में रक्त का थक्का जमाकर बीमारियों को जन्म देता है। यदि आप पानी (जिसे साओल आयल का नाम दिया है) में मसाले पका कर खाना बनाएं तो तेल के साथ बनाए खाने जैसा ही स्वाद आएगा। उन्होंने राजधानी की बहुत से स्त्री-पुरुषों को बिना तेल में बनी मिक्स वेजीटेबल, बिना घी के बना हलवा तथा बिना तेल के बना पकौड़ा न केवल बनाना सिखाया बल्कि खिलाया भी।
समापन दिवस पर शास्त्रोपासक आचार्य डा. चंद्रभूषण मिश्र एवं बिहार प्रादेशिक मारवाड़ी सम्मेलन के अध्यक्ष विजय कुमार किशोरपुरिया विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। डा. मिश्र ने कहा कि जनकल्याण के लिए इस प्रकार के शिविर का आयोजन सराहनीय कदम है। अधिक से अधिक लोगों को लाभांवित करने के लिए हर वर्ष इस तरह के शिविर का आयोजन किया जाना चाहिए। समापन समारोह में द्वारिका प्रसाद तोंदी, महेश जालान, राजेश बजाज, शिवकुमार पोद्दार, योगेश तुल्स्यान, महावीर बिहासरिना समेत अनेक लोग मौजूद थे।

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