पटना। साइंटिफिक तरीके से आपराधिक घटनाओं को सुलझाने और अपराधियों को सजा दिलाने में लगी बिहार पुलिस को वॉयस स्पेक्टोग्राफ का सहारा मिल गया है। बिहार पुलिस मुख्यालय ने इस मशीन को खरीदा है। वॉयस स्पेक्टोग्राफ के सहारे अपराधियों की आवाज का मिलान किया जाएगा। पुलिस के पास पहले से रिकार्डेड आवाज और पकड़े जाने पर अपराधी की आवाज, एक पाए जाने पर इसे सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किया जाएगा।
दरअसल कुछ समय पहले बेंगलुरू की एक कंपनी ने इसका प्रदर्शन पुलिस अधिकारियों के सामने किया था। पुलिस अधिकारियों को स्पेक्टोग्राफ काफी पंसद आई थी। उसी समय इसका आर्डर भी दिया गया था।
कैसे काम करती है वॉयस स्पेक्टोग्राफ
वॉयस स्पेक्टोग्राफ मशीन आवाज का सैंपल लेती है। फिर उसे वाक्य, शब्द या अक्षर में विभक्त देती है। अक्षर को भी सैकड़ों भागों में बांट दिया जाता है जिससे एक ग्राफ का निर्माण होता है। साइंस में इस बात का प्रमाण है कि किसी दो व्यक्तियों की आवाज एक नहीं हो सकती। आवाज नहीं मिलने पर स्पेक्टोग्राफ तुरंत ही इसे नकार देती है। यदि आवाज में समानता पाई गई तो इसे साबित करने के लिए दिनभर का वक्त लगता है।
लाई डिटेक्टर टेस्ट भी
बिहार पुलिस अब लाई डिटेक्टर टेस्ट का भी इस्तेमाल कर रही है। एडीजी रवींद्र कुमार ने बताया कि कई केसों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। पुलिस अब साइंटिफिक तरीके से सबूत जुटा रही है ताकि अपराधी को साक्ष्य के अभाव में जमानत नहीं मिल सके।
उल्लेखनीय है कि हाल के समय में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कई बार साइंटिफिक तरीके से अनुसंधान की वकालत करते हुए इसके लिए पैसे की कमी नहीं होने देने की बात कही थी।
अपराध को साबित करने में इससे काफी मदद मिलेगी। अपराधियों की आवाज को हम पुख्ता सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश कर सकेंगें। सैंपल के तौर पर पहले एक मशीन खरीदी गई है। जिसकी लागत करीब 5 लाख रुपये है। जरूरत पड़ने पर इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी।
रवींद्र कुमार, एडीजी
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