Apr 05, 2012.
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अप्रैल - फलों में पूर्ण रुपेण गुठली बन जाने 15 दिनों अंतराल पर बोरेक्स (4 ग्राम /लीटर) का दो छिड़काव करें जिसमें फलों को फटने से बचायाय जा सके। बागों में नमी बनाये रखे। फलों में लाली आने से पहले निम्बीसिडीन या कामधेनु कीट नियंत्रक घोल का सात दिनों के अंदर से दो छिड़काव करें ताकि फलों को फल बंधक कीट के प्रभाव से बचाया जा सके।
मई - मई के तीसरे सप्ताह से फलो की तोड़ाई करें। फलों की तोड़ाई प्रात: काल 4-8 बजे तक ही करें। फलों को बाग में ही झोपड़ी बनाकर ठंडे स्थान पर रखे जहां फलों की छंटाई एवं पैकेजिंग की जा सके।
जनू - तुड़ाई उपरांत पेड़ों की छंटाई करें। कीड़ों से प्रभावित टहनियों सूखी तथा घड़ों से निकल रही टहनियों ओर पेड़ के उचित फैलाव से बाहर जा रही टहनियों को काट कर दे ताकि समुचित प्रकाश एवं हवा पौधों को मिल सके। बागों की हल्की जोताई करे ताकि खर-पतवार नष्ट हो जाए। पहली वर्षा के साथ-प्रति पौधा 60 से 70 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद, दो किलो नीम या कंरज की खल्ली, एक किलो ग्राम युरिया, 1.5 किलोग्राम नीम डीएपी एवं 250 से 300 ग्राम पोटाश प्रति पौधा व्यवहार करें। खाद एवं उर्वरक पेड़ों के फैलाव से लगभग एक मीटर अंदर 20-25 सेंटीमीटर गहरी एवं चौड़ी नाली बना कर करें। कम नमी हो तो हल्की सिंचाई करें ताकि पेड़ को पोषक तत्व लेने में कठिनाई न हो। लीची के गुणवत्ता युक्त फल लेने के लिए प्रति माह ध्यान देना आवश्यक है। किसान बाग के प्रति हमेशा सजग रहें।
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