बिहार राज्य में सहकारिता आंदोलन की कमान अब महिलाओं के हाथ में होगी। वे आंदोलन को नई दिशा देंगी। राज्य सरकार ने सहकारिता आंदोलन में आधी आबादी की सहभागिता बढ़ाने को कमर कस ली है। 26 मई को महिला सहकारी सम्मेलन का आयोजन होगा, जिसमें राज्य में सहकारिता से जुड़ी महिलाएं और देशभर की जानी-मानी महिला कोऑपरेटर मौजूद होंगी। श्री कृष्ण मेमोरियल हॉल में आयोजित इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार करेंगे। मुख्य अतिथि उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी होंगे। इंडियन कोऑपरेटिव एसोसिएशन की अध्यक्ष, मध्य प्रदेश की आस्था शहरी सहकारी बैंक की अध्यक्ष और अमूल की महिला प्रतिनिधि के अलावा देश की कई बड़ी हस्तियां समारोह में अपने अनुभवों को राज्य की महिला कोऑपरेटरों से साझा करेंगी। राज्य के कोऑपरेटरों की उपलब्धियों पर भी चर्चा होगी। सम्मेलन में पैक्सों की ढाई सौ महिला अध्यक्षों के अलावा प्रबंधकारिणी समिति की महिला सदस्यों को बुलाया गया है। सरकार का उद्देश्य सम्मेलन के माध्यम से महिलाओं को जागरूक कर सहकारी आंदोलन में सक्रिय भूमिका के लिए उन्हें प्रेरित करना है। साथ ही स्वयं सहायता समूहों को इससे जोड़कर महिलाओं में बचत की आदत को बढ़ावा देना और उन्हें स्वावलंबी बनाना है। इसके पहले सरकार ने प्रारंभिक सहकारी इकाई पैक्सों में महिलाओं को सदस्य बनाने की शुरुआत की। लगभग 20 लाख महिलाएं सहकारिता से जुड़ गई। अब सरकार ने यह संख्या दोगुनी करने का मन बनाया है। महिलाओं में आपसी तालमेल और सहयोग से काम करने की प्रवृत्ति ज्यादा रहती है। उन्हें सहकारिता से जोड़कर इस आंदोलन को एक नया आयाम दिया जा सकता है। सरकार ने पैक्सों में अरक्षण के साथ ही इसकी पहल शुरू कर दी थी। नया प्रयास महिलाओं के काम को सामने लाने का है- रामाधार सिंह, मंत्री सहकारिता विभागसहकारिता में महिलाएं - 1.25 लाख सहकारी
संस्थाओं से जुड़ी हैं255 पैक्सों की अध्यक्ष 33 फीसदी कृषि क्षेत्र में मजदूरी करती हैं 48 फीसदी अपनी खेती करती हैं18 फीसदी खेतिहर परिवार की मुखिया हैं 1
हैं80 फीसदी कृषि से जुड़ी हैं33 फीसदी कृषि क्षेत्र में मजदूरी करती हैं 48 फीसदी अपनी खेती करती हैं18 फीसदी खेतिहर परिवार की मुखिया हैं
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