Monday, April 2, 2012

बिहार पुलिस के बारे में इस खबर को पढ़ बदल जाएगी आपकी सोच!

 
पटना. पुलिस पर आम आदमी की सुरक्षा का भार तो है ही, समाज को सही दिशा देने में उसकी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। अक्सर पुलिसवालों पर संवेदनहीन होने के आरोप लगते रहते हैं, लेकिन इसे पूरा सच नहीं माना जा सकता है।

पढ़ाई से दूर हो चुके गरीब बच्चों का स्कूल में नामांकन कराकर पुलिस ने अपने सामाजिक दायित्व का परिचय दिया है। बिहार पुलिस मुख्यालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आकड़ों के अनुसार वर्ष 2011 में पूरे बिहार में 29548 बच्चों को पुलिस के सहयोग से स्कूल पहुंचाया गया। खास यह है कि वर्ष 2012 में पुलिस ने इस काम में और तेजी लाई है। 2012 के मात्र दो महीनों जनवरी और फरवरी में बिहार में कुल 8014 बच्चों का नामांकन स्कूल में कराया गया।

एडीजी ने कहा

स्कूलों में गरीब बच्चों का नामांकन कराना हमारा दायित्व हैं। इस संबंध में मुख्यालय ने सभी जिलों के एसपी को आवश्यक निर्देश भी दिए हैं। पुलिस अब इस बात पर भी ध्यान रख रही है कि जो बच्चा एक बार स्कूल पहुंचा दिया गया वो आने वाले दिनों में स्कूल जा रहा है कि नहीं। इसके लिए अभिभावकों को भी जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।

नालंदा में हुए सर्वाधिक नामांकन

नालंदा- 2133
भोजपुर-1724
लखीसराय- 1520
सीतामढ़ी- 1432
नवादा- 1358
मुजफ्फरपुर-1307
मोतिहारी- 1296
बगहा- 1176
पूर्णिया-1105
सीवान- 1080
सराहनीय
वैसे तो पूरे बिहार में पुलिसकर्मियों ने अपने स्तर से बच्चों को स्कूल पहुंचाया लेकिन वर्ष 2011 में सर्वाधिक नामांकन नालंदा जिले में हुए। यहां की पुलिस ने 2133 बच्चों को स्कूल पहुंचाया। इस वर्ष के दो महीनों जनवरी और फरवरी में भी यह संख्या 626 बच्चों की है। वहीं इस मामले में अरवल और कटिहार जिले फिसड्डी साबित हुए। अरवल में वर्ष 2011 में 04 और कटिहार में केवल 100 बच्चों का नामांकन कराया जा सका। लेकिन इस वर्ष कड़े निर्देश मिलने के बाद 2012 में अरवल में 61 और कटिहार में 223 बच्चों को स्कूल भेजा जा चुका है।
>वर्ष 2011 में 30 हजार बच्चों का कराया स्कूल में नामांकन
>नालंदा जिले में सर्वाधिक 2133 बच्चे पहुंचाए गए स्कूल
>अरवल और कटिहार में नामांकन में रहे फिसड्डी

Source: मनोरंजन कुमार.   |   Last Updated 15:45(29/03/12)

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