Monday, April 2, 2012

Really Good News: जेल में सपरिवार रहेंगे कैदी , कर सकेंगे नौकरी

 बक्सर (पटना ):-

बक्सर। बक्सर केंद्रीय जेल के कैदी अब न केवल नौकरी कर सकेंगे, बल्कि अपने बीबी-बच्चों के साथ यहां रह भी सकेंगे। यह सब होगा बक्सर में खुलने वाली ओपन जेल में। बिहार की पहली और देश की 33वीं ‘ओपन जेल’ बक्सर की 42 एकड़ भूमि में तैयार की जा रही है। यह ओपन जेल इस वर्ष अप्रैल तक तैयार हो जाएगी। आशा की जा रही है कि इसमें मई से कैदियों को रखा जाएगा।

इस जेल के कैदी न केवल अपने बीबी-बच्चों के साथ यहां रहेंगे, बल्कि जेल की पांच किलोमीटर की परिधि में वह रोजगार भी कर सकेंगे। केंद्रीय जेल के कारापाल मनोज कुमार कहते हैं कि इन कैदियों को रोजगार खोजने के लिए जेल प्रशासन भी मदद करेगा। वह कहते हैं कि दुकान या अन्य रोजगार के लिए कैदियों को ऋण दिलाने में भी जेल प्रशासन मदद करेगा। यही नहीं, कैदियों को जेल प्रशासन समय-समय पर रोजगार से संबंधित प्रशिक्षण भी दिलाएगा। इस जेल में वैसे ही कैदियों को रखा जाएगा जो लंबी सजा प्राप्त और अधिक सजा काट चुके हैं। उल्लेखनीय है कि देश में ओपन जेल की शुरुआत राजस्थान में 1963 में हुई थी। उस जेल में सबसे पहले 35 कैदियों को रखा गया था।

आठ करोड़ की लागत से बन रही ओपन जेल

ऐतिहासिक बक्सर केंद्रीय जेल में करीब साढ़े आठ करोड़ रुपये की लागत से बन रही इस ओपन जेल में रहने के लिए कैदियों का चयन एक समिति द्वारा किया जाएगा। इस समिति की अध्यक्षता कारा महानिरीक्षक करेंगे। यह समिति उन्हीं कैदियों को यहां रखने की अनुमति देगा जिन आदर्श कैदियों के संबंध में काराधीक्षकों द्वारा अनुशंसित आवेदनपत्र कारा महानिरीक्षक को भेजे जाएंगे।

पांच किमी के दायरे में कैदी कर सकेंगे नौकरी

सरकार कैदियों को वस्त्र और भोजन मुहैया कराएगी, जबकि कैदी अपने परिजनों के लिए जरूरी सामग्रियों की व्यवस्था स्वयं करेंगे। इस क्रम में कैदी ५ किलोमीटर तक के दायरे में किसी निजी कम्पनी में नौकरी कर सकते हैं। इस दौरान उनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी खुद की होगी। अंबष्ट हालांकि कहते हैं कि कोई कैदी जहां काम करेगा, जेल प्रशासन उस कम्पनी की जांच कर सकता है।

ताकि कट न जाए सामाजिक मुख्यधारा से..

जेल प्रशासन का मानना है कि लंबी अवधि तक जेल में रहने के बाद कैदी जब जेल से निकलते हैं तो उनका जीवन पूरी तरह एकांगी हो जाता है और उनका जीवन पूरी तरह बदला होता है। वह पूरी तरह समाज की मुख्यधारा से कट जाते हैं। ऐसे में या तो वह फिर से पुराने गलत रास्ते पर लौट जाते हैं या फिर वह अपने ही परिवार के लिए बोझ बन जाते हैं। इसीलिए सरकार ने कैदियों के सामाजिकरण के लिए ऐसी व्यवस्था की है।

 Source: bhaskar news   |   Last Updated 18:18(27/03/12)

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